हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा प्रसिद्धी पत्रक
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को आवाहन
मुंबई : शनिशिंगनापुर के श्री शनिदेव का दर्शन करने में देवस्थान द्वारा स्त्री-पुरुष में कोई अंतर नहीं किया गया है।
मंदिर के न्यासियोंने पूर्व से ही ऐसा नियम बनाया है कि सभी को चबूतरे के नीचे से ही श्री शनिदेव का दर्शन करना चाहिए।
इस प्रकरण में शनिदेव के चबूतरे पर चढ कर धार्मिक प्रथा तोडने का आग्रह करनेवाली भूमाता ब्रिगेड की अध्यक्षा श्रीमती तृप्ति देसाई ने वर्ष २०१२ में कांग्रेस के माध्यम से पुणे महापालिका का चुनाव लडा था। २६ जनवरी २०१६ को पुलिसद्वारा तृप्ति देसाई को बंदी बनाए जाने पर बिग्रेड के कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस पक्ष की घोषणा दी थी !
श्रीमती देसाई की फेसबुक पर कांग्रेस नेताओंद्वारा उनका सम्मान करने के छायाचित्र हैं। इस फेसबूक खाते पर श्रीमती देसाई के ‘आप’ के कार्यक्रम के भी छायाचित्र हैं !
इसलिए श्रीमती तृप्ति देसाई भक्त नहीं हैं, परंतु अपने राजनीतिक स्वार्थ हेतु वे इस प्रकार के अभियान चला कर हिन्दू धर्म विरोधी नीति अपना रही हैं। उन्होंने शनिशिंगनापुर आंदोलन के विषय में सभी को फंसाया, परंतु अब उनका राजनीतिक चेहरा उजागर हो गया है !
श्रीमती तृप्ति देसाई ने यह आंदोलन राजनीतिक हितसंबंध के लिए ही किया है।
इसलिए शनिशिंगनापुर की धार्मिक प्रथाओंके प्रकरण में मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे कांग्रेस के षडयंत्र पर बलि न चढ वहां के ग्रामवासियोंकी सैकडों वर्षोंकी परंपराओंको संजोने का दायित्व लें !
माध्यमोंद्वारा इस विषय में चर्चा आरंभ होने पर संत-महंतोंको मंदिर के नियम एवं प्रचलित पद्धति के विषय में परिपूर्ण जानकारी दिए बिना इस प्रकरण के विषय में उनका दृष्टिकोण पूछा जा रहा है !
हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने प्रसिद्धिपत्रक में कहा है कि, यह संत-महंतोंको भ्रमित करने का ये एक अश्लाघ्य प्रयास है !
इस पत्रक में आगे कहा है कि, धार्मिक क्षेत्र के किसी अंग के विषय में यदि जानकारी लेनी है, तो उस क्षेत्र के ज्ञानी संतोंद्वारा लेनी उचित सिद्ध होता है। जैसे वैद्यकीय शाखाओंके तज्ञ एक-दूसरेंकी शाखाओंके विषय में अपने मत नहीं प्रस्तुत कर सकते, वैसा ही विचार धार्मिक क्षेत्र में होना चाहिए।
शनिशिंगनापुर के श्री शनिदेव की पूजा एवं चबूतरे पर जाकर महिलाओंद्वारा दर्शन करने का विषय पूर्ण रूप से कर्मकांड से संबंधित है। इस विषय में आज तक चालू रूढि एवं परंपरा में हस्तक्षेप करने से पूर्व कर्मकांड के अधिकारी व्यक्ति का उपदेश अथवा मार्गदर्शन लेना आवश्यक है। मंदिर का इतिहास एवं इस विषय की परंपराएं ५०० वर्ष पुरानी हैं तथा वे कर्मकांड के अनुसार चलती आ रही हैं।
इसलिए इन बातोंपर मुख्यमंत्री को विचार करना चाहिए।
कांग्रेस शासनद्वारा हिन्दू हित की कोई रक्षा न करने के कारण हिन्दुओंने कांग्रेस को पदच्युत किया है।
बहुसंख्यक हिन्दुओंके मतोंसे चुन कर आई भाजपा सरकारद्वारा हिन्दुओंकी प्रथा-परंपराओंके विषय में इकतरफा निर्णय लेना अपेक्षित नहीं है। इसलिए शासन को चाहिए कि वह श्रीमती तृप्ति देसाई समान कथित भक्तोंके दबाव में आकर शनिशिंगनापुर के भक्तोंकी आस्थाओंका विचार कर ही उचित निर्णय ले।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात