शनिशिंगनापुर में चबूतरे पर महिलाओंका बलपूर्वक प्रवेश का प्रकरण
वृत्तवाहिनियोंकी बदमाशी एवं दिखावे की मानसिकता
शनिशिंगनापुर में चबूतरे पर श्री शनिदेव की स्वयंभू शिला है। इस स्थान की पवित्रता को संजोए रखने हेतु इस शिला को स्पर्श करने की अनुमति सेवकोंके अतिरिक्त अन्य किसी को भी नहीं देना चाहिए। कोई भी देवी-देवता की मूर्ति एवं मंदिर के गर्भगृह के प्रवेश के संदर्भ में यही नियम उचित है !
इस में महिला एवं पुरुष में समानता असमानता का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता !
अभी मैं उत्तरप्रदेश के प्रयागराज (अलाहाबाद) में हूं। यहां कुछ वृत्तवाहिनियोंके प्रतिनिधि आए थे। उन्होंने मुझे चबूतरे पर प्रवेश के विषय में नहीं पूछा, अपितु मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के संदर्भ में गलत तरीके से प्रश्न पूछा और मेरे उत्तरस्वरुप वक्तव्य को सीधे शनिशिंगनापुर के प्रकरण से जोड कर त्रुटिपूर्ण समाचार प्रसिद्ध किया ! (इस से वृत्तवाहिनियोंकी बदमाशी एवं दिखावे की मानसिकता स्पष्ट होती है। ऐसी समाचार वाहिनियोंपर कितना विश्वास करें, जनता ही निश्चित करें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
मैंने मंदिर में प्रवेश के संदर्भ में ऐसा वक्तव्य किया था, नाकि शनि के चबूतरे पर प्रवेश के संदर्भ में ! इस विषय पर मैं समाचार वाहिनियोंके प्रतिनिधियोंको आमंत्रित कर स्पष्टीकरण देने को कहूंगा।
आखाडा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्रगिरी महाराज ने ऐसा स्पष्टीकरण दिया है।
प्रतिनिधि द्वारा शनिशिंगनापुर की परंपरा एवं वस्तुस्थिति बताए जाने पर जनजागृति समिति के महाराष्ट्र संगठक श्री. सुनिल घनवट ने यह स्पष्टीकरण दिया।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात