श्रावण शुक्ल पक्ष तृतीया, कलियुग वर्ष ५११६
लाखों के धान में उगी झाड़ियां !
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विलासपुर (छत्तीसगढ) – शहर से लगे सकरी धान खरीदी केंद्र में इस साल ४० हजार क्विंटल धान की खरीदी की गई। धान खरीदी के अंतिम दौर में किसान अपना धान लेकर खरीदी केन्द्र पहुंचे, १५ फरवरी को खरीदी लाक होने के दौरान केन्द्रों में किसानों की भारी भीड़ जमा हो गई थी। अंतिम दिनों में अचानक बिजली बंद होने के कारण कम्प्यूटर लाक हो गया। इसके कारण केन्द्रों में पहुंचे धान की तौल नहीं हो पाई थी। किसान अपने धान को खरीदी केन्द्र में ही छोड़कर वापस हो गए।
किसानों को इंतजार था कि फिर से लाक खुलने के बाद उनकी बिक्री कम्प्यूटर में दर्ज की जाएगी, लेकिन प्रशासन की लेटलतीफी के कारण केन्द्र का लाक नहीं खुला। इसके कारण केन्द्र में किसानों का ६ हजार क्विंटल से अधिक का धान खुले में पड़ा हुआ है, जो अब मिट्टी में बदल गया है। सकरी सहकारी समिति में धान खरीदी लाक होने के पहले पहुंचे किसानों के ६ हजार क्विंटल धान की खरीदी संबंधी मामले का निराकरण नहीं किया गया, हमालों को भुगतान नहीं होने से इस धान को सुरक्षित रखा भी नहीं जा सका।
नतीजा यह है कि बारिश में खुले में पड़ा लाखों का यह धान सड़ गया है, धान के बोरे मिट्टी में दब गए हैं और इनमें झाड़ियां तक उग आई हैं। सकरी सहकारी समिति में धान खरीदी लाक होने के पहले पहुंचे किसानों के 6 हजार क्विंटल धान की खरीदी संबंधी मामले का निराकरण नहीं किया गया, हमालों को भुगतान नहीं होने से इस धान को सुरक्षित रखा भी नहीं जा सका। नतीजा यह है कि बारिश में खुले में पड़ा लाखों का यह धान सड़ गया है, धान के बोरे मिट्टी में दब गए हैं और इनमें झाड़ियां तक उग आई हैं।
सर्मथन मूल्य में धान खरीदी करने के बाद हमालों द्वारा उठाव किया जाता है। इन हमालों को हमाली का ४ लाख ५० हजार रुपए का भुगतान करना था। समिति प्रभारी ने खाते से १ लाख ३१ हजार रुपए निकालकर हमालों का भुगतान कर दिया था, इसके बाद अध्यक्ष त्रिभुवन साहू ने भुगतान करने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसकी शिकायत उपपंजीयक से की गई पर दो महीने बाद भी उपपंजीयक ने निर्णय नहीं लिया। इसके कारण हमालों की लगभग ३ लाख २५ हजार रुपए हमाली का भुगतान नहीं हो सका है। हमाली नही मिलने के कारण केन्द्र के सभी हमाल काम छोड़कर चले गए।
सकरी खरीदी केन्द्र में ४० हजार क्विंटल धान की खरीदी की गई है। प्रभारी ने खरीद किए गए धान को शेड में सुरक्षित रख दिया है पर अंतिम दिनों में आए धान को खुले में छोड़ दिया गया है। किसानों की मेहनत के धान का बोरा केन्द्र के चारों तरफ बिखरा पड़ा है। धूप व बारिश के कारण बारदाने खराब होकर फट गए हैं। इससे धान पूरे केन्द्र में बिखरा पड़ा है। केन्द्र में चारों ओर धान ही धान नजर आता है।
स्रोत : हरि भूमि