मेरा धर्म ईसाई है; परंतु संस्कृति हिन्दू ! – फ्रान्सिस डिसोजा, उपमुख्यमंत्री, गोवा

श्रावण शुक्ल पक्ष तृतीया, कलियुग वर्ष ५११६

चर्चसंस्था एवं विरोधियोंके दबावतंत्रको न मानते हुए गोवाके उपमुख्यमंत्री फ्रान्सिस डिसोजाका पुनरुच्चार !

अबतक कितने हिन्दू नेताओंने हिन्दू संस्कृतिका इस प्रकार उजागरीसे समर्थन किया ? ईसाई नेताको हिन्दू संस्कृतिका महत्त्व समझमें आता है । परंतु हिन्दू नेता कथित सेक्यूलरिज्मका (धर्मनिरपेक्षता ) ढोल बजाते हुए संस्कृतिहनन कर रहे हैं !

वास्को (गोवा) – यहांके नववाडेमेें एक प्रकल्पके शुभारंभके अवसरपर पत्रकारोंसे बोलते समय गोवाके उपमुख्यमंत्री अधिवक्ता फ्रान्सिस डिसोजाने स्पष्ट रूपसे प्रतिपादित किया कि विश्वमें ५ सहस्र वर्षोंसे हिन्दू संस्कृति चली आ रही है । इस संस्कृतिकी मैं मनोभावसे पूजा करता हूं । इसीलिए मैं ईसाई हिन्दू हूं, ऐसा कहा तो उसमें क्या चूक है ? मेरा धर्म ईसाई है; परंतु संस्कृति हिन्दू है । (राजनीतिक स्वार्थका विचार न करते हुए महान हिन्दू संस्कृतिका समर्थन करनेवाले उपमुख्यमंत्री फ्रान्सिस डिसोजाका अभिनंदन ! यदि अन्यत्रके जन्महिन्दू नेताओंने डिसोजासे सबक सिखा, तो राष्ट्रकी दुरावस्था परिवर्तित होनेमें विलंब नहीं लगेंगा ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

उपमुख्यमंत्री डिसोजाने कार्यक्रममें आगे कहा, ‘ईसाई संस्कृति दो  सहस्र वर्षे पुरानी है, जबकि हिन्दू संस्कृति ५ सहस्र वर्ष पुरानी है । मैं जिस संस्कृतिका जतन करता हूं, उस विषयमें उजागरीसे मतप्रदर्शन करनेके लिए क्या मुझपर कोई आपत्ति उठा सकता है ? यह मेरा निजी मत है । ईसाई समुदायकी ओरसे मैंने ऐसा नहीं कहा । मेरे इस व्यक्तिगत मतके संदर्भमें मुझपर कोई राजनीति न करे ।’

पूर्वमें जिस समय गोवाके सहकारमंत्री श्री. दीपक ढवलीकरने ‘यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीको सभीने समर्थन दिया, तो वे भारतको ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाएंगे ‘। ऐसा वक्तव्य दिया था, उस समय इस वक्तव्य- पर कांग्रेस पक्ष एवं कथित सेक्यूलरिज्मद्वारा (धर्मनिरपेक्षतावादी ) तीव्र विरोध दर्शाया गया था, जबकि उपमुख्यमंत्री फ्रान्सिस डिसोजाने ‘हिन्दू राष्ट्र’ संकल्पनाको समर्थन दर्शाया था । भारत पूर्वसे ही ‘हिन्दू राष्ट्र’ है, इसमें कोई संदेह नहीं है । इसके आगे भी वह ‘हिन्दू राष्ट्र’ रहेगा । ‘हिन्दू राष्ट्र’  इस संंकल्पनाका अर्थ चूक पद्धतिसे लिया जा रहा है । यह हिन्दूस्थान है । इस हिन्दूस्थानके सभी भारतीय हिन्दू हैं, ऐसे वक्तव्य उस समय डिसोजाने दिए थे । इस वक्तव्यके पश्चात कांग्रेस पक्ष तथा निरपेक्षतावादियोंने विरोध दर्शाकर सहकारमंत्री श्री. दीपक ढवलीकर एवं उपमुख्यमंत्री फ्रान्सिस डिसोजाके त्यागपत्रकी मांग की थी । फ्रान्सिस डिसोजाके वक्तव्यका गोवाके कैथोलिक चर्चने भी विरोध दर्शाया था । जो  मंत्री ‘हिन्दू राष्ट्र’ का सपना देख रहे हैं, उन्हें सरकारको कारागृहमें डालना चाहिए । ऐसे लोगोंको भारतमें स्थान नहीं है, ऐसी मांग चर्चसंस्थाद्वारा की गई थी । कांग्रेस, निरपेक्षतावादी एवं चर्चसंस्थाद्वारा विरोध दर्शानेपर भीr उपमुख्यमंत्री फ्रान्सिस डिसोजाने २८ जुलाईको वास्कोमें उपरोल्लेखित कार्यक्रममें बताया कि वे उनके वक्तव्यपर निश्चित हैं । इस अवसरपर उपमुख्यमंत्री फ्रान्सिस डिसोजाने कहा, ‘भारतमें ‘हिन्दू राष्ट्र’ आएगा, सहकारमंत्रीके इस वक्तव्यसे मैं सहमत नहीं हूं ।’

‘हिन्दू राष्ट्र’ के वक्तव्यसे यदि किसीकी भावनाओंको ठेस पहुंची हैं, तो मैं क्षमायाचना करता हूं ! – उपमुख्यमंत्री डिसोजा

पणजी – उपमुख्यमंत्री फ्रान्सिस डिसोजाने अपना मत व्यक्त करते हुए कहा कि मेरा कहना है कि भारत पूर्वसे ही एक ‘हिन्दू राष्ट्र’ है । अन्य लोगोंको यह चूक प्रतीत होनेकी संभावना है, परंतु मुझे यह स्वीकार है । अन्य व्यक्ति ऐसा कह सकते हैं कि मेरा कहना चूक है । मेरे इस वक्तव्यसे यदि किसीकी भावनाएं आहत हुई हैं, तो मैं क्षमायाचना करता हूं ।

‘हिन्दू राष्ट्र’ संकल्पनाका अर्थ केवल हिन्दुओंका राष्ट्र इस प्रकार संकीर्ण नहीं, अपितु वह एक आदर्श राष्ट्र होगा । इसीलिए ईसाई होते हुए भी डिसोजाको ‘हिन्दू राष्ट्र’ की आवश्यकता प्रतीत होती है । अतः ‘हिन्दू राष्ट्र’में अल्पसंख्यक असुरक्षित होंगे ऐसा कहनेवाले लोगोंको उसका व्यापकत्व समझ लेना चाहिए !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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