भाद्रपद शुक्ल पक्ष प्रतिपदा, कलियुग वर्ष ५११६
मुंबई – हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा हिन्दू धर्म तथा साधु-सन्तोंका अपमान करनेवाले ‘ग्लोबल बाबा’ हिन्दी चलचित्रको प्रमाणपत्र न देनेके विषयमें पत्र भेजा गया है । इस चलचित्रका आशय इस प्रकार है कि पुलिसकर्मियोंके एन्काऊन्टरसे अपनी रक्षा करने हेतु एक गुंडा भगवे वस्त्रको परिधान कर धर्मकी आडमें सभी अपराधिक कृत्य करता है एवं भोंदू बाबा बनकर लोगोंको फंसाता है तथा धर्म एवं राजनीतिका समन्वय कर लोकराज्यके सर्वाेच्च स्थानपर नियुक्ित करनेमें हस्तक्षेप करता है । उसके कुकृत्योंंको एक महिला पत्रकार उजागर करती है । इस चलचित्रकी पटकथासे नई पीढीके मनमें साधु-सन्तोंके विषयमें अनादर उत्पन्न होगा तथा इससे हिन्दू संस्कृतिकी बडी हानि होगी । अतः समितिद्वारा इस चलचित्रको प्रमाणपत्र न देनेकी मांग की गई है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
धर्माभिमानी हिन्दू निम्ननिर्देशित संपर्क पतेपर निषेध पंजीकृत कर रहे हैं ।१. विजय आटर््स, भ्रमणध्वनि : ९७६८७५८०३९, ९३५०८१६८२२, ई-मेल : [email protected] संकेतस्थल : www.globalbaba.in २. मुख्य विभागीय अधिकारी, सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन, भारत भवन, ९१ – ई, वाळकेश्वर रोड, |
अद्ययावत
हिन्दू संतोंपर कीचड उछालनेवाला चित्रपट `ग्लोबल बाबा’ !
३० जुलार्इ २०१४, श्रावण शुक्ल पक्ष तृतीया, कलियुग वर्ष ५११६
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हिन्दू संगठित न होनेके कारण ही उनके श्रद्धास्थानोंपर आपत्ति उठानेवाले चित्रपट सिद्ध होते हैं !
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किसी पादरी अथवा मौलवीके संदर्भमें ऐसा चित्रपट क्या कभी प्रदर्शित हुआ है ?
मुंबई – पुलिसके एन्काऊंटरसे अपनी रक्षा करनेके लिए एक गुंडा पाखंडी बाबा बनकर लोगोंको फंसाता है । धर्म एवं राजनीतिको अनिष्ट रूपसे एकत्रित कर वह इतने उच्च पदतक पहुंचता है कि वह लोकराज्यके सर्वोच्च स्थानके चुनाव हेतु भी प्रयास करता है । उसका यह दुष्कृत्य एक महिला पत्रकार सबके सामने स्पष्ट करती है, `ग्लोबल बाबा’ नामसे इस आशयका यह चित्रपट निर्माण किया गया है । (कुछ दिन पूर्व ही रमजानके मासमें एक मौलवीद्वारा अल्पवयीन युवतीपर मस्जिदमें बलात्कार करनेकी घटना स्पष्ट हुई है । पोप फ्रान्सिसने बताया कि ईसाईयोंके ४ लक्षसे अधिक पादरियोंमेंसे २ प्रतिशत अर्थात ८ सहस्र पादरी छोटे बच्चोंका तथा नन्सका लैंगिक शोषण कर रहे हैं । इन विषयोंको माध्यम बनाकर कोई भी चित्रपट क्यों नहीं प्रकाशित किया जाता ? कदाचित इन चित्रपट निर्माताओंको ऐसा प्रतीत होता है कि केवल हिन्दू धर्ममें अंधश्रद्धा हैं अथवा धर्मांधोंके संगठित विरोधसे वे डरते हैं ! अतः यह प्रयास करना चाहिए कि हिन्दुओंके श्रद्धास्थानोंपर आपत्ति उठानेवाले ऐसे चित्रपटोंको परिनिरीक्षण मंडल ही यह अनुमति अस्वीकार करे ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) इस चित्रपटके भित्तिपत्रकपर भी बीचकी उंगली ऊपर कर अश्लीलता दर्शानेवाला छायाचित्र प्रदर्शित किया गया है । इस चित्रपटके कारण हिन्दुओंकी धर्मभावना आहत होगी, इसलिए हिन्दुओंद्वारा उसका विरोध होनेकी पूरी संभावना है । यह चित्रपट योगऋषि रामदेवबाबापर आधारित है, यह बताकर चित्रपटकी प्रसिद्धि की जा रही है; किंतु इससे योगऋषि रामदेवबाबाके भक्तोंकी धर्मभावना आहत हुई है । (पूरे विश्वको उज्जल करनेवाले नए रूपसे भारतीय योगासनोंकीपहचान करनेवाले तथा उसे पूरे विश्वमें पहुंचाकर भारतका नाम ऊंचा करनेवाले योगऋषि रामदेवबाबाके भक्तोंके साथ समस्त भारतीयोंको ऐसे चित्रपटोंका तीव्र विरोध करना चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) अक्टूबर अथवा नवम्बरमें यह चित्रपट प्रदर्शित किया जाएगा । इस चित्रपटकी कथा सूर्यकुमार उपाध्यायद्वारा लिखी गई है, साथ ही मनोज तिवारीने इसका दिग्दर्शन किया है । विजय आर्ट्स प्रॉडक्शनका यह प्रथम चित्रपट है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात