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बांग्लादेश में पुलिसद्वारा हिन्दुओंपर किए गए अन्याय की पूछताछ करने गए अधिवक्ता श्री. रवींद्र घोष को बांग्लादेश की पुलिस ने धमकाया !

बांग्लादेशी हिन्दूओंपर हो रहे अन्याय !

हिन्दुओंपर होनेवाले अन्याय दूर करने हेतु निरंतर प्रयास करनेवाले अधिवक्ता श्री. रवींद्र घोष की सुरक्षा हेतु क्या केंद्रशासन बांग्लादेश शासन पर दबाव डालेगा ?

Ravindra_Ghosh_320ढाका : रिश्वत के लिए पुलिसद्वारा बांग्ला देश में चितगांव जिले के हाथझरी में श्री. सुमनकुमार डे नामक एक व्यावसायी को प्रताडित किया जा रहा था।

इस संदर्भ में पूछताछ करने हेतु गए बांग्लादेश माइनॉरिटी वॉच के हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन के अध्यक्ष अधिवक्ता श्री. रवींद्र घोष को हाथझरी के पुलिस उपाधीक्षक मोशिउद्दौला रजा ने धमकी देते हुए कहा कि, ‘यदि दूरभाष से इस प्रकरण की पूछताछ की, तो महंगी पडेगी !’ ऐसा अधिवक्ता श्री. रवींद्र घोष ने सूचित किया है। (भारत में अल्पसंख्यकोंके हित के लिए स्पर्धा से एक-दूसरे के पैर खींचने तथा मैं आगे, मैं आगे … का प्रयास करनेवाले, क्या कभी बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिन्दुओंके लिए आवाज उठाएंगे ? भारत में अल्पसंख्यकोंकी रक्षा हेतु तथाकथित प्रगतिशील लोग आवाज उठाते हैं; परंतु बांग्लादेश में कोई भी प्रगतिशील नहीं है। इसलिए अल्पसंख्यक हिन्दुओंपर कोई ध्यान नहीं दिया जाता, उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है ! यदि कोई एक ‘तस्लीमा नसरीन’ इसके लिए प्रयास करती है, तो उसे देश से पलायन करने पर विवश किया जाता है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

१. १४ सितंबर २०१५ को सुपर स्टोन आस्थापन के व्यवस्थापकीय संचालक श्री. सुमनकुमार डे का हाथझरी पुलिस थाने की पुलिसद्वारा रिश्वत की मांग कर शारीरिक छल किया गया था।

२. इसके विरोध में श्री. डे ने ढाका के उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की। उच्च न्यायालयद्वारा इस प्रकरण की जांच करने के आदेश दिए गए।

३. इस से आहत हुई पुलिस ने श्री. डे को कष्ट देना चालू ही रखा।

४. तत्पश्चात श्री. डे ने बांग्लादेश माइनॉरिटी वॉच संगठन के अध्यक्ष अधिवक्ता श्री. रवींद्र घोष से संपर्क किया।

५. २७ जनवरी को श्री. घोष इस प्रकरण की पूछताछ करने हेतु हाथझरी पहुंचे। उन्होंने बांग्लादेश के गृहमंत्री एवं उच्च पुलिस अधिकारियोंसे संपर्क करने का प्रयास किया; परंतु संपर्क नहीं हो सका।

६. इसका पता चलते ही दूरभाष पर हाथझरी के पुलिस उपाधीक्षक मोशिउद्दौला रजा ने घोष को धमकी दी। इससे बांग्ला देश की पुलिस उच्च न्यायालय को कितना महत्त्व देती है, यह दिखाई देता है !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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