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शनिशिंगनापुर की ग्रामसभा में श्री शनैश्‍वर देवस्थान न्यास का विद्यमान विश्‍वस्त मंडल विसर्जित करने का प्रस्ताव

शनिशिंगनापुर में ग्रामसभा

  • श्री शनिशिंगनापुर विद्यमान विश्‍वस्तोंके चयन के विरोध में ग्रामवासी एकत्रित
  • श्री शनैश्‍वर देवस्थान बचाव कृति समिति की स्थापना

श्री क्षेत्र शनिशिंगनापुर : श्री शनिशिंगनापुर देवस्थान के विद्यमान विश्‍वस्तोंका चयन पूर्णरूप से राष्ट्रवादी काँग्रेस के नेताओंकी इच्छा के अनुसार हुआ है तथा इसके विरोध में संपूर्ण गांव एकत्रित हुआ है ! २६ जनवरी के दिन हुई ग्रामसभा में सरपंच श्री. बाळासाहेब बनकर इनकी अध्यक्षता में सर्वानुमत से प्रस्ताव रखकर उसे पारित किया गया। (राजनेताओंकी अपेक्षा विश्‍वस्त के रूप में भक्तोंका चयन हो, इस हेतु कार्यरत शनिशिंगणापूर ग्रामवासियोंका अभिनंदन ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

इसमें विद्यमान विश्‍वस्त मंडल को विसर्जित कर प्रशासक की नियुक्ती की जाए तथा नए सिरे से विश्‍वस्त मंडल का चयन हो, यह मुख्य मांग रखी गई है।

इस मांग के समर्थन में ५०० से भी अधिक ग्रामवासियोंने स्वाक्षरी अभियान चलाया है !

इसके लिए राज्यशासन से आग्रह करने का ग्रामवासियोंद्वारा निश्‍चय किया गया एवं विकल्प के रूप में श्री शनैश्‍वर देवस्थान बचाव कृति समिति की स्थापना भी की गई !

ग्रामसभा में पारित हुए प्रस्ताव के अनुसार अखिल भारतीय मराठा महासंघ के जनपद अध्यक्ष एवं राज्य संपर्कप्रमुख श्री. संभाजी दहातोंडे को इस समिति के अध्यक्ष के रूप में चयन किया गया है। ग्रामपंचायत के सरपंच श्री. बाळासाहेब बनकर की अध्यक्षता में हुई सभा में उनकी अनुमति से श्री. दत्तात्रय परशुराम शेटेद्वारा रखे गए प्रस्ताव में कहा गया है कि, श्रीक्षेत्र शनिशिंगणापूर देवस्थान न्यास के विद्यमान विश्‍वस्त मंडल का वर्ष २०१६-२०२० इस अवधि के लिए हालही में चयन किया गया है। इस विषय में अनेक परिवाद प्रविष्ट हैं तथा इसमें अनेक त्रुटीयां हैं।

राजनेताओंने अपनी इच्छा के अनुसार अपने हितसंबंधी व्यक्तियोंकी इस विश्‍वस्त मंडलपर नियुक्ति कर उनकेद्वारा अपनी इच्छा के अनुसार काम करना प्रारंभ किया है।

इसलिए विद्यमान विश्‍वस्त मंडल को तत्काल विसर्जित कर प्रशासक की नियुक्ति की जाए। उसी समेत विद्यमान विश्‍वस्त मंडल में होनेवाले सदस्य किसी भी सामाजिक अथवा धार्मिक कार्य में सम्मिलित नहीं हैं। साथ ही वर्ष २०११ से २०१५ इस अवधि के इस विश्‍वस्त मंडल के भ्रष्ट काम के कारण न्यायालय में अनेक अभियोग प्रविष्ट हैं।

ऐसा होते हुए भी नगर के धर्मादाय आयुक्तने उन्हीं विश्‍वस्तोंके परिजन एवं हितसंबंधियोंको पुनः नए विश्‍वस्त मंडलपर नियुक्ति कर भ्रष्टाचार एवं अयोग्य नीति को प्रोत्साहित किया है !

इसलिए चयनप्रक्रिया पूर्णरूप से अयोग्य एवं दोषपूर्ण है ऐसा स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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