श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी, कलियुग वर्ष ५११६
हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा गोवाके कानूनमंत्रीको निवेदन
पणजी (गोवा) – हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा २८ जुलाईको गोवाके कानूनमंत्रीको ऐसे आशयका निवेदन दिया गया है कि अंधश्रद्धा निर्मूलन समितिद्वारा मांग किए जानेवाले जादूटोनाविरोधी कानूनकी गोवामें आवश्यकता नहीं है । हाल-हीमें अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समितिके अध्यक्ष प्रा. श्याम मानवने अपनी गोवाभ्रमणमें ऐसा मत व्यक्त किया है कि गोवामें जादूटोनाविरोधी कानूनकी आवश्यकता है एवं इस संदर्भमें वे सरकारसे मांग करनेवाले हैं । इस पाश्र्वभूमिपर हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा कानूनमंत्रीको उपरोल्लिखत निवेदन दिया गया है । इस निवेदनकी प्रति राज्यके मुख्यमंत्रीको भी दी गई है ।
इस निवेदनमें कहा गया है कि महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समितिके दबावमें आकर महाराष्ट्रमें कांग्रेस सरकारने जादूटोना विरोधी कानून लागू किया । महाराष्ट्रके सभी धार्मिक संगठन, संस्था, संप्रदायोंके मत, देव एवं धर्मको न माननेवाले कुछ नास्तिकवादी लोग एवं नक्सलवादी आंदोलनोंसे संबंध रहनेवाले संगठनोंके दबावमें आकर महाराष्ट्र सरकारने इस कानूनको जनताके मत्थे मढा है ।
इस कानूनके सभी अपराध दखलपात्र एवं अप्रतिभूतिपात्र होनेके कारण यह कानून भयंकर सिद्ध हुआ है । महाराष्ट्रमें हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा पिछले ९ वर्षोंसे इस कानूनको विरोध करने तथा कानूनकी अनेक त्रुटियां महाराष्ट्र सरकारके सामने लानेका महत्वपूर्ण कार्य किया गया है । इस कानूनकी सिफारिशें धर्माचरणपर प्रतिबंध लगानेवाली हैं । कानूनकी धाराओंमें दिए अपराधोंके लिए भारतीय दंडविधानमें सक्षम धाराएं हैं एवं नए कानूनोंकी आवश्यकता नहीं है । यदि गोवामें ऐसा कानून लागू किया गया, तो गोवाकी अधिकांश धार्मिक एवं श्रद्धालु जनता संकटमें पडनेकी संभावना है । अबतक गोवाके एक भी नागरिकद्वारा गोवामें (अंध)श्रद्धा निर्मूलन कानून होनेकी मांग नहीं की गई है । गोवामें कहीं भी नरबलि तथा जादूटोना समान घटनाएं नहीं होती । इसलिए अंधश्रद्धाके कारण गोमंतकोंका शोषण होनेका प्रश्नही उपाqस्थत नहीं होता । ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं कि महाराष्ट्रमें जादूटोनाविरोधी कानूनद्वारा ईसाई एवं मुसलमानोंके पाखंडिताविरोधी परिवादोंपर कार्यवाही नहीं की जाती है, जबकि दूसरी ओर यह कानून केवल हिन्दुओंके ही विरोधमें प्रयुक्त किया जा रहा है । ऐसे हिन्दूविरोधी कानूनकी गोवाको आवश्यकता नहीं है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात