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हिन्दू युवकोे, ‘फ्रेंडशिप डे’ समान पाश्‍चात्त्य विकृतिपर बलि न चढे

श्रावण शुक्ल पक्ष षष्ठी, कलियुग वर्ष ५११६

अगस्त माहके प्रथम रविवारको युवा वर्गद्वारा ‘फ्रेंडशिप डे’ मनाया जाता है । इस वर्ष ३ अगस्ताके ‘फ्रेंडशिप डे’ मनाया जाएगा । मैत्री दिनके नामपर इस दिन मित्रोंको प्रीतिभोज देना, मैत्रीके प्रतीकके रूपमें एक-दूसरेके हाथमें फ्रेंडशिप बैंड बांधना आदि घटनाएं भारी मात्रामें होती हैं । विद्यालय एवं महाविद्यालयोंमें इसका प्रमाण लक्षणीय है । क्या वास्तवमें कोई एक बैंड बांधकर मैत्रीमें वृद्धि होती है ? एक-दूसरेको संंकटके समय सहाय्य करने एवं मित्र अथवा सहेलीका कदम अयोग्य दिशासे जाते समय उसे सहाय्य करनेको खरी मैत्री कहते हैं । एक-दूसरेको अडचनके समय सहाय्य करनेके अनेक उदाहरण हिन्दुओंके प्राचीन इतिहासमें देखनेको मिलते हैं, जिसमें एक है श्रीकृष्ण-सुदामा ! परंतु वर्तमान समयके हिन्दू पाश्‍चात्त्योंके अधीन जाकर ऐसी मैत्रीका केवल प्रदर्शन करनेमें बडप्पन मानते हैं । वास्तवमें राष्ट्रपर जब संकट छाया हो, तो ऐसे बेकार दिन मनानेकी अपेक्षा सभी मित्र लोगोंको धर्म एवं हिन्दू संस्कृतिपर होनेवाले आघातोंके संदर्भमें प्रबोधन कर उन्हें राष्ट्रकार्यके लिए सक्रिय करना ही खरे राष्ट्र-धर्मप्रति खरा  सख्य है !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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