श्रावण शुक्ल पक्ष षष्ठी, कलियुग वर्ष ५११६
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नई देहली : मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए मोदी सरकार उन्हें नैशनल इंस्टिट्यूट फॉर ओपन स्कूलिंग (NIOS) से जोड़ने की योजना बना रही है। सर्टिफिकेशन के लिए मदरसों को नैशनल इंस्टिट्यूट से लिंक किया जाएगा। हालांकि मदरसों पर यह थोपा नहीं जाएगा और जो मदरसे इसके लिए राजी होंगे, उनका सर्टिफिकेशन किया जाएगा। सरकार मदरसों में साइंस, मैथ्स, सोशल साइंस जैसे मॉडर्न सब्जेक्ट भी शामिल करने की प्लानिंग कर रही है।
एचआरडी मिनिस्ट्री के मुताबिक, मदरसों में जो पढ़ाई हो रही है, उसके साथ ही मॉडर्न सब्जेक्ट ऐड किए जाएंगे और इनकी ज्यादा अहमियत होगी। इसके जरिए मुस्लिम समुदाय को मुख्य धारा से जोड़ने की कोशिश होगी। सरकार ने बजट में भी मदरसों के मॉडर्नाइजेशन के लिए १०० करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार साइंस व कंप्यूटर लैब के लिए मदरसों को फंड देगी। साथ ही, साइंस-मैथ्स के टीचर की पेमेंट का प्रावधान भी अलग होगा। लाइब्रेरी में इन सब्जेक्ट्स की किताबों के लिए अलग से फंड दिया जाएगा।
मदरसों का आधुनिकीकरण सरकार की टॉप प्रयॉरिटी में है, क्योंकि यह राजनीतिक तौर पर मोदी सरकार के लिए जरूरी है। सरकार अपने काम के जरिए बीजेपी को लेकर मुस्लिम समुदाय की आशंकाओं को दूर करना चाहती है। प्रधानमंत्री चुनावी स्पीच से लेकर अब तक सबसे ज्यादा जोर, 'सबका साथ, सबका विकास' नारे पर दे रहे हैं। अमेरिका ने भी इस नारे पर मोदी की तारीफ की है। बीजेपी चाहती है कि वह मदरसों के आधुनिकीकरण जैसे कदम उठाकर यह संदेश दे कि हमारे लिए डिवेलपमेंट जरूरी है न कि कोई समुदाय। बीजेपी के चुनावी घोषणा पत्र में भी नैशनल मदरसा मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम को प्राथिमकता देने की बात थी।
एचआरडी मिनिस्टर स्मृति ईरानी ने लोकसभा में अपने जवाब में बताया कि २००१ की जनगणना के मुताबिक, मुस्लिम समुदाय में लिटरेसी रेट ५९.१ पर्सेंट है, जबकि नैशनल लिटरेसी रेट ६४.८ पर्सेंट है। मुस्लिम स्टूडेंट्स का भी स्कूलों में एनरोलमेंट काफी कम है। २०१२-१३ में प्राइमरी लेवल पर मुस्लिम स्टुडेंट का एनरोलमेंट १३.५२ पर्सेंट था, जिसमें २०१३-१४ में मामूली बढ़ोतरी हुई और यह १३.७३ पर्सेंट हुआ।
स्त्रोत : नवभारत टाईम्स