अश्लील दृश्योंके विरोध में प्रदर्शन कर उसका प्रसारण बन्द करानेपर विवश करनेवाले सभी हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनोंका अभिनन्दन ! – सम्पादक, हिन्दूजागृति
लुधियाना : हिन्दी चलचित्र (फिल्म) ‘मस्ती जादे’ में हिन्दू धर्म की आराध्य देवी मां काली के मंदिर में एक महिला व पुरुष की आेर से टीव्ही पर दिखाए जा रहे निरोध (कंडोम) के विज्ञापन के विराेध में हिन्दू तख्त के मुख्य प्रचारक वरुण मेहता, हिन्दू सुरक्षा समिति के प्रदेश प्रभारी बब्बी टांक व प्रदेश अध्यक्ष दीपक भारद्वाज की अध्यक्षता में सिविल लाइन्स स्थित पवेलियन मॉल का घेराव कर सैंकडो कार्यकर्ताआे ने मां काली के मंदिर में फिल्माए गए अश्लील दृश्यों पर विरोध जताया । साथ ही इस फिल्म पर पांबदी लगाने की भी मांग की ।
फिल्म में सनातन संस्कृति के विपरित दर्शाए गए दृश्यों के विरोध में पवेलियन मॉल के घेराव की भनक लगने पर पवेलियन मॉल के निजी सुरक्षा कर्मियों की आेर से हिन्दू धर्म के अनुयायियों के साथ मारपीट की गर्इ, विरोध प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी की ।
परिस्थिती संभालने हेतु पुलिस दल मौके पर पंहुची । पुलिसने प्रर्दशनकारियों को डराने व धमकाने का प्रयास किया । जब डराने धमकाने का प्रर्दशनकारियों पर कोई प्रभाव नहीं हुआ तो पुलिस अधिकारियो ने अतिरीक्ति सुरक्षा बल मंगवाकर पवेलियन मॉल को चारों आेर से बंद किया आैर नाकाबंदी कर प्रर्दशनकारियों को रोका ।
लगभग डेढ घंटे के बाद पुलिस आयुक्त ने परिस्थिती को संभालते हुए लुधियाना के सभी सिनेमा घरों में फिल्म का प्रसारण बंद करवा कर प्रदर्शनकारियों के गुस्से को शांत किया ।
हिन्दू तख्त के मुख्य प्रचारक वरुण मेहता ने फिल्म की निंदा करते हुए फिल्म को पास करनेवाले सेंसर बोर्ड सदस्यों को निरस्त कर सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायधीश से जांच करवाने की मांग करते हुए कहा कि, केंद्र सरकार इस बात की जांच करवाए कि पिछले तीन वर्षों से निरंतर हिन्दू धर्म की धार्मिक भावनाओं को आहत करनेवाली फिल्मों को मंजूरी देने के पीछे कौन सी हिन्दू विरोधी शक्तियां है और फिल्मों के निर्माण के लिए पैसा कहां से आ रहा है ?
हिन्दू संगठनों द्वारा किये गए प्रदर्शन के समय जब मॉल के सुरक्षा कर्मी आैर प्रदर्शनकारियों बीच मारपिट हो गई । उन सुरक्षा कर्मी पर मामला दर्ज करने व फिल्म पर पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध लगाने की मांग हिन्दू संगठन कर रहे थे । पुलिस के आश्वासन व सुरक्षा कर्मी को बंदि बनाने के बाद ही प्रदर्शनकारी शांत हुए ।
संदर्भ : राजस्थान पत्रिका