मूल अमरिकन एवं धर्म से ज्यू रहनेवाले डॉ. रिचर्ड बेन्किन बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिन्दुओंपर होनेवाले अत्याचारोंके विरोध में संघर्ष कर रहे हैं। वे लेखक, पत्रकार तथा प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। एक ‘ज्यू’ मानवाधिकार कार्यकर्ता बांग्लादेश के हिन्दुओंके लिए संघर्ष करता हैं; परंतु भारतीय राजनेता उनके लिए कुछ नहीं करते, यह दुर्भाग्यपूर्ण है !
न्यूयार्क : डॉ. रिचर्ड बेन्किन ने मानवाधिकार एवं विशेष रूप से अल्पसंख्यक हिन्दुओंके अधिकारोंका भंग करनेवाले इस्लामी बांग्लादेश के शासन को कडी फटकार लगाई है !
हाल-ही में एक जालस्थल से डॉ. बेन्किन का एक लेख प्रसारित हुआ, इस में उन्होंने कहा है कि, वर्तमान में सत्ता में रहनेवाली अवामी लीग ऐसा कहती आई है कि; बांग्लादेश के हिन्दुओंपर होनेवाले अत्याचार नहीं सहन करेंगे; परंतु इस से पूर्व सत्ता में रहनेवाली बांग्लादेश नैशनलिस्ट (राष्ट्रवादी) पार्टी के कार्यकाल की अपेक्षा अब हिन्दुओंपर होनेवाले अत्याचारों में तथा मानवाधिकार कार्यकर्ताओंपर होनेवाले आक्रमणोंकी संख्या में लक्षणीय वृद्धि हो गई है !
फिर भी आक्रमण करनेवाले बहुसंख्यक धर्मांधोंके विरोध में शासनद्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई !
इस का प्रमाण देने हेतु डॉ. बेन्किन ने बांग्लादेश मायनारिटी वॉच के अध्यक्ष अधिवक्ता श्री. रवींद्र घोष एवं उनके सहयोगियोंपर २९ जनवरी को, पुलिसद्वारा ही आक्रमण करने की उस घटना का उल्लेख किया, जिस में चितगांव जिले के हाथाझारी उपजिले के पुलिस उपअधीक्षक महंमद मोशिदौल्ला रेजाद्वारा अधिवक्ता घोष एवं उनके सहयोगियोंपर आक्रमण किया गया था।
डॉ. बेन्किन आगे कहते हैं कि, अधिवक्ता श्री. रवींद्र घोष ने शासनद्वारा किए जानेवाले मानवाधिकार विरोधी कृत्योंको अनेक बार अनुभव किया है। श्री. घोष के पास भारी संख्या में इसके प्रमाण उपलब्ध हैं !
ऐसे कृत्योंसे ‘हिन्दूहित’ की रक्षा नहीं होती ! प्रधानमंत्री शेख हसीना एवं उनके अवामी लीग शासन को इसकी ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए !
(बांग्लादेश के हिन्दुओंपर होनेवाले अन्याय एवं अत्याचार तथा उनके लिए लडनेवाले मानवाधिकार संगठनोंकी व्यथाएं अंतर्राष्ट्रीय व्यासपीठ पर प्रस्तुत करनेवाले डॉ. रिचर्ड बेन्किन का अभिनंदन ! ऐसा है, फिर भी हमें एक बात स्वीकारनी होगी कि, वैश्विक स्तर पर हिन्दुओंके हित में कौन सा भी शासन नहीं लडेगा ! इसलिए अब देश-विदेश के हिन्दुओंको ही ‘स्वयं-सिद्ध’ होना चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात