Menu Close

श्रीशनिदेव के चबूतरे पर चढने की अपेक्षा ‘स्त्री की अवहेलना’ करवानेवालोंको रोकें – राष्ट्रीय कीर्तनकार ह.भ.प. चारुदत्त आफळे

श्री स्वामी चैतन्य परिवार की ओर से पत्रकार परिषद

राष्ट्रीय कीर्तनकार ह.भ.प. चारुदत्त आफळे

चिपलून-रत्नागिरी (महाराष्ट्र) : राष्ट्रीय कीर्तनकार ह.भ.प. चारुदत्त आफळे की कीर्तनमाला का आयोजन करनेवाले श्री स्वामी चैतन्य परिवार की ओर से आयोजित पत्रकार परिषद में श्री.आफळेजी ने ऐसा प्रतिपादित किया कि, ‘स्त्री प्रकृति’ के लिए श्रीशनिदेव के स्पंदन घातक होने की संभावना है। धर्मशास्त्र में ये नियम ‘विचारपूर्वक’ एवं ‘सुरक्षा हेतु’ ही बनाए गए हैं। वर्तमान में अनेक शास्त्रज्ञोंद्वारा ऐसा मत प्रस्तुत किया गया है कि, कुछ स्पंदन स्वास्थ्य के लिए ‘घातक’ साबित हो सकते हैं !

शनिशिंगनापुर में महिलाआेंके आंदोलन के पीछे आध्यात्मिक दृष्टिकोण नहीं था। वहां की प्रथा-परंपराओंसे महिलाओंपर अन्याय हो रहा है, ऐसा कुछ भी नहीं है !

असल में, जहां महिलाओंपर अन्याय होता है, वहां ‘उन्हें’ संघर्ष करना चाहिए !

चलचित्रों में स्त्रीदेह का ‘अंग प्रदर्शन’ ही वास्तव में ‘स्त्री अवहेलना’ है !

श्रीशनिदेव के चबूतरे पर चढने का हठ करने की अपेक्षा ‘स्त्री-देह’ की अवहेलना करवानेवालोंके सीने पर बैठ कर, ‘उन्हें’ यह कष्ट दूर करने का प्रयास करना चाहिए !

इस पत्रकार परिषद में शनिशिंगनापुर के श्रीशनिदेव के चबूतरे पर महिलाओंके प्रवेश के संदर्भ में आपका क्या मत है ?, ऐसा पत्रकारोंद्वारा पूछे गए प्रश्न को उत्तर देते समय श्री. आफळेबुवा बोल रहे थे।

श्री. चारुदत्त आफळेजी ने, आगे कहा . . .

धार्मिक क्षेत्रोंके संबंध में पूर्व में किए गए कुछ नियम ‘केवल’ सुरक्षा हेतु हैं !

स्त्रियोंके ‘अंग प्रदर्शन’ के ही कारण, प्रतिदिन बलात्कार की घटनाओं में वृद्धि हो रही है। यह वास्तव में संकट है !

इस संकट को नजर अंदाज कर शनिशिंगनापुर की प्रथा तोडने का प्रयास न करें। धर्मशास्त्र का अध्ययन कर हमें अपनी आध्यात्मिक उन्नति करनी होती है। पुरुष एवं स्त्री में निसर्गतः अंतर है। शासनद्वारा लगाईं गई अनेक बातें प्रतिबंधात्मक होती हैं, तो क्या हम उसे ‘असमानता’ मानते हैं ? धार्मिक क्षेत्रों के संबंध में पूर्व में किए गए नियम ‘केवल’ सुरक्षा हेतु ही बनाए गए हैं।

इस्राईल समान हर नागरिक को सैनिक प्रशिक्षण

इस्राईल समान यदि हर नागरिक को ‘सैनिक प्रशिक्षण’ दिया गया, तो यहां की जनता किसी भी प्रकार के आतंकवाद का सामना करने हेतु सक्षम होगी।

मदरसोंद्वारा ‘विद्वेष’ नहीं होना चाहिए !

मदरसें या अन्य किसी धार्मिक स्थलों में अन्य धर्मों के विषय में विद्वेष फैलाया जा रहा हो, तो; वो निषेधार्ह है !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *