शनिशिंगनापुर के श्री शनिदेव के चबुतरेपर महिलाओंके प्रवेश का निष्कारण विवाद
काँग्रेस की दोहरी नीति – केरल के शबरीमला मंदिर में महिलाओंके प्रवेश पर प्रतिबन्ध, तो महाराष्ट्र के शनिशिंगनापुर में प्रवेश देने की मांग !
मुंबई : शनिशिंगनापुर के श्री शनिदेव के चबुतरेपर महिलाओंके प्रवेश का विवाद निष्कारण हो रहा है !
उस संदर्भ में आज हुई जिलाधिकारी, शनिशिंगणापूर विश्वस्त एवं आंदोलक संगठन इनकी हुई बैठक निष्फल होने से, अब यह विषय मुख्यमंत्री के पास गया है, ऐसा बताया जा रहा है।
यह विषय ‘स्रीमुक्ति’ का नही है, पूर्णरूप से धार्मिक होने के कारण मुख्यमंत्री कोई भी निर्णय लेने से पूर्व धार्मिक क्षेत्र के विशेषज्ञोंसे (४ पिठोंके शंकराचार्य, धर्माचार्य एवं काशी विद्वत परिषद) मार्गदर्शन लें, ऐसा आवाहन हिन्दु जनजागृति समिति की ओर से किया गया है।
केरल के शबरीमला देवस्थान में महिलाओंको प्रवेश मिलने के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय में चल रही याचिका की सुनवाई करते समय न्यायालय ने वहां के शासन को उसकी भूमिका के विषय में पूछनेपर वहां के काँग्रेस शासन ने १० से ५० वर्ष आयु की महिलाओंको वहां प्रवेश ना हो तथा इसी परंपरा को चलाते रहना चाहिए, ऐसा स्पष्ट करनेवाला शपथपत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया है।
आश्चर्य की बात यह है कि, यही काँग्रेस महाराष्ट्र में महिलाओंके प्रवेश के लिए आग्रही है !
शनिशिंगनापुर के संदर्भ में श्री शनैश्वर देवस्थान का विश्वस्त मंडल, शनिशिंगनापुर ग्रामपंचायत, ग्रामवासी एवं लाखों श्रद्धालु इन्होंने इस परंपरा को ना तोडने की भूमिका ली है। हाल ही में इस संदर्भ में ग्रामसभा बुलाकर इस परंपरा को निरंतर रखने का प्रस्ताव भी पारित किया गया है।
इसलिए श्रद्धालु, ग्रामवासी एवं विश्वस्त मंडल इनकी भावनाओंको ध्यान में लेकर हिन्दूओंके मतोंपर चुनकर आया हुआ भाजपा शासन इसपर निश्चित विचार करेगा, ऐसी आशा है।
विगत ४०० वर्षों में मुघल, अंग्रेज एवं उनके उपरांत सत्तापर रहे काँग्रेसी शासकोंने, साथ ही महाराष्ट्र कh गौरवशाली संतपरंपरा में से किसी भी संतोंने इस परंपरा को तोडने का विचार नहीं किया। इसलिए हिन्दुत्वनिष्ठ शासन पुरोगामियोंके दबाव का बली बनकर अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी ना मारें, साथ ही उनके दबाव में आकर कोई भी धर्मविरोधी निर्णय मुख्यमंत्री ना लें, ऐसा आवाहन हिन्दु जनजागृति समिति कर रही है।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात