नेपाल का ‘ईसाईकरण’ की ओर तीव्र गति से मार्गक्रमण !
काठमांडू : नई लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक समय पर ‘हिन्दु राष्ट्र’ होनेवाले नेपाल में ईसाई धर्म का बडी मात्रा में प्रसार हो रहा है !
ईसाई समुदाय की तीव्र गति से वृद्धि होनेवाले देशों में नेपाल सब से पहले स्थानपर है, ऐसी जानकारी ईसाई धर्म के विषय में अध्ययन करनेवाली एक संस्था के निष्कर्ष के अनुसार सामने आयी है।
१. वर्ष १९५१ में नेपाल में एक भी ईसाई नहीं था। उसके पश्चात वर्ष १९६१ में ईसाईयोंकी संख्या ४५८ इतनी हुई। वर्ष २००१ में यह संख्या १ लाख २ सहस्र इतनी थी। अब १० वर्ष पश्चात यह संख्या तिगुनी हुई है। आज के दिन नेपाल में ३ लाख ७५ सहस्र ईसाई हैं !
२. वर्ष १९५० के पूर्व विदेशियोंको नेपाल में प्रवेश करनेपर प्रतिबंध था। उसके पश्चात ‘गिरीरोहन’ के नामपर अनुमति दी गई तथा इससे विदेशियोंको नेपाल में प्रवेश के लिए द्वार खुल गया !
३. वर्ष १९९० में माओवादियोंने नागरी युद्ध की घोषणा की तथा वर्ष २००८ में नेपाल के राजघराने की सत्ता समाप्त हुई। एक ‘हिन्दु राष्ट्र’ होनेवाला यह देश अब साम्यवादियोंका वर्चस्व होनेवाला ‘धर्मनिरपेक्ष प्रजासत्ताक’ बन गया है ! इस कारण वहां धर्मांतरण को भारी मात्रा में सहुलियत मिल गई है।
४. नेपाल में, वर्षाऋतु में अंकुरित होनेवाले भु छत्रोंकी भांति चर्च खोले जा रहे हैं !
५. नेपाल में हाल ही में हुए भूकंप के कारण स्थिती और बिगड गई है ! भूकंप के कारण उत्पन्न कठिन स्थिति का लाभ ईसाई मिशनरी उठा रहे हैं। वहां के गरीब एवं भोले भाले हिन्दूओंको पैसोंका आमिष दिखाकर उनका धर्मांतरण किया जा रहा है !
६. एक समय में काठमांडू शहर से ५ मील की दूरीपर स्थित दपच्या नामक गांव में एक भी ईसाई चर्च नहीं था। वर्ष २०११ में इस गांव में एक चर्च बन गया तथा अब मात्र १ सहस्र परिवारवाले इस गांव में ३ चर्च निर्माण किये गये हैं !
७. नेपाल में जातिपर आधारित बडी मात्रा में भेदभाव किया जाता है। इसका भी लाभ ईसाई मिशनरी उठा रहे हैं !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात