श्रावण शुक्ल पक्ष दशमी, कलियुग वर्ष ५११६
किसी उडानटप्पू लडकेके समान आचरण करनेवाले न्यायाधिशको न्यायदानका नैतिक अधिकार नहीं रह जाता ।
‘हिन्दू राष्ट्र’में ऐसे लोगोंको कठोर दंड दिया जाएगा !
![]() |
ग्वालियर (मध्य प्रदेश) – ४ अगस्तको यहांके एक महिला अतिरिक्त जिला न्यायाधिशद्वारा उच्च न्यायालयके एक न्यायाधिशपर आयटम साँगपर नाच करनेके लिए आमंत्रित करनेका आरोप लगाया गया । (मनोरंजनके लिए न्यायाधीश महिलाको नाच करनेको कहनेवाले न्यायाधीश केवल भारतमें हैं । भारतीय न्यायव्यवस्थाकी प्रतिष्ठाको बरबाद करनेवाले ऐसे न्यायाधिशपर कौनसी कार्यवाही की जाएगी ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) इस विषयमें महिला न्यायाधिशने सर्वाच्च न्यायालयके सरन्यायाधीश आर.एम. लोढ़ा, न्यायाधीश एच.एल.दत्तू, टी.एस. ठाकुर, अनिल दवे, दीपक मिश्रा एवं अरूण मिश्राके साथ मध्यप्रदेश उच्च न्यायालयके मुख्य न्यायाधिशको भी पत्र भेजकर परिवाद किया है । कथित वरिष्ठ न्यायाधिशके छलसे त्रस्त होकर महिला न्यायाधिशने अपने पदका त्यागपत्र भी दिया है । ‘द टाईम्स ऑफ इंडिया’ समाचारपत्रमें यह समाचार प्रसारित हुआ है ।
पीडित महिला न्यायाधिशने पत्रमें कहा है कि कथित न्यायधिशने लघुसंदेश भेजकर मुझे अपने भवनपर एक कार्यक्रमके लिए आमंत्रित किया था । इतना ही नहीं, अपितु मुझे एक आयटम साँगपर नाचनेके लिए आग्रह किया था; परंतु मैंने लडकीके जन्मदिवसका कारण बताकर कार्यक्रमको जानेमें टालमटोल की थी । तब भी दूसरे दिन न्यायालयमें हमारी भेंट होनेपर कथित न्यायाधिशने कहा, ‘’आपको नाचते हुए देखनेका अवसर चला गया; परंतु भविष्यमें प्रतिक्षा करेंगे,’’ ऐसी टिप्पणी की । (ऐसे उडानटप्पू वक्तव्य करनेवाले न्यायाधिशोंपर कठोर कार्यवाही की गई, तो ही भविष्यमें ऐसी घटनाएं नहीं होंगी । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) इन सब घटनाओंके कारण मेरी प्रतिष्ठा, नारीत्व एवं स्वाभिमान दुखाया गया है । इसलिए मैं त्यागपत्र दे रही हूं । विशेषतः पीडित न्यायाधिशकी विशाखा समितिके सदस्यपदपर नियुक्ति की गई है । कामके स्थानपर महिलाओंपर होनेवाले अत्याचारोंके विरोधमें यह समिति कार्य करती है ।
इस संदर्भमें मध्यप्रदेश उच्च न्यायालयद्वारा संबंधित न्यायाधिशसे ब्यौरा मंगवाया गया है । तत्पश्चात उनपर कार्यवाही की जाएगी, ऐसा सर्वाच्च न्यायालयके मुख्य न्यायाधिपतिने बताया एवं स्पष्ट किया कि पीडित महिला न्यायाधिशद्वारा अबतक वैधानिक रूपसे कोई परिवाद नहीं किया गया है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात