श्रावण शुक्ल पक्ष एकादशी, कलियुग वर्ष ५११६
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(मंदिर के पीछे का गड्ढा जिसे |
अमझेरा-धार(मध्य प्रदेश) : प्रसिद्ध अमका-झमका तीर्थ स्थित लगभग पांच हजार साल पुराना बैजनाथ मंदिर। लगातार बारिश, स्टॉप डेम व झरने के पानी से नींव कमजोर होने लगी। मंदिर के पास १०० फीट गहरा गड्ढा हो गया। इससे मंदिर के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा। लोगों ने गड्ढा पाटने की ठानी। न जेसीबी और न सरकारी सहायता। लोग खुद गेंती-सब्बल व फावड़ा-तगारी लेकर भिड़े। पड़ोस के पहाड़ से मुरम निकाली और छह महीने में १०० फीट गहरे गड्ढे को पाट दिया।
गांव के ही राजेश चौहान (पहलवान) ने बताया पांच लोगों ने सबसे पहले पहाड़ काटने की शुरुआत की थी। धीरे-धीरे लोग बढ़े और काम आसान होता चला गया। लोगों ने पहाड़ काट मुरम खोदी और गड्ढे में डालते चले गए। पानी से फिर कटाव न हो इसके लिए पाइप डाल दिए। भराव पर एक भवन भी बना दिया, जिसमें पर्यटक-भक्तों के ठहरने की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा एक घाट भी बनाया। पूरे काम में पांच से छह लाख रुपए का खर्च आया दानदाता आगे आए और काम बनता चला गया।
राजा बख्तावर के पूर्वजों ने किया था जीर्णोद्धार
शहीद राणा बख्तावर सिंह के पूर्वजों ने मंदिर का जीर्णोद्धार किया था। वर्षों से मंदिर की देखरेख नहीं हो पाई थी, जिसके चलते खतरा पैदा हो गया था।
जिस पानी से हो रहा था कटाव, उसी से घाट पर स्नान की व्यवस्था की
नींव का भराव करने के बाद जमीन पर पौधारोपण किया गया। समीप ही भवन बनाकर सीमेंट के ब्लॉक लगाए गए। ईंट की जुड़ाई नहीं की। घाट पेढ़ी बनाकर स्नान की व्यवस्था की। जो पानी पहले मंदिर की नींव काट रहा था, वही अब श्रद्धालुओं के स्नान के लिए इस्तेमाल में आने लगा है। भवन के समीप उद्यान निर्माण की भी योजना है। मंदिर में पूर्व में पानी टपकता था, जिसे चूने की घिसाई कर भरा गया है। गुंबज की भी मरम्मत की है।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर