नई देहली – सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में बुधवार को कहा कि, विवाहित होने के बावजूद महिला को विवाह का झांसा देकर उसके साथ अवैध संबंध बनाने वाले व्यक्ति को राहत नहीं दी जा सकती। न्यायालय ने छत्तीसगढ से जुड़े एक मामले में दोषी को कडी फटकार लगाते हुए कहा कि, विवाहित होने के बावजूद उसने न केवल एक महिला को विवाह का झांसा दिया अपितु उसके साथ में अवैध संबंध भी बनाए।
दोषी को राहत नहीं
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि, ऐसे घृणित अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को किसी भी कीमत में कोई राहत नहीं दी जा सकती। न्यायालय ने कहा कि इस प्रकरण में दोषी व्यक्ति विवाहित तो है ही इसके साथ ही उसका एक बच्चा भी है। इस सब के बावजूद दोषी ने एक दुसरी महिला को विवाह का झांसा देकर उसके साथ में अवैध संबंध भी बनाए।
सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका खारिज की
न्यायालय ने छत्तीसगढ़ सरकार को पीड़िता को हर महीने ८००० रुपए पुनर्वास के लिए देने के निर्देश भी दिए हैं। शीर्ष न्यायालय ने आरोपी की याचिका खारिज कर दी।