श्रावण शुक्ल पक्ष द्वादशी, कलियुग वर्ष ५११६
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वाशिंगटन (अमेरिका) – विश्व भर में चोरी-छुपे लोगों की जासूसी कराने वाले अमेरिका के बारे में और बड़ा खुलासा हुआ है। इस बार एक सूत्र ने 'इंटरसेप्ट' नाम की वेबसाइट को कुछ ऐसे सरकारी डॉक्युमेंट लीक किए हैं, जिनसे पता चलता है कि वाशिंगटन महज शक और शायद धर्म के आधार पर करीब ७ लाख लोगों की जासूसी करा रहा है।
इतना ही नहीं, इन दस्तावेजों के मुताबिक ओबामा प्रशासन ने ४७ हजार लोगों को 'नो-फ्लाई लिस्ट' (जिन लोगों के विमान से यात्रा पर बैन है) में रखा है। यह संख्या पहले की बुश सरकार से भी कहीं ज्यादा है। सरकार इस लिस्ट में रोज ९०० नाम या नई जानकारी शामिल करती है।
नए खुलासे के मुताबिक सीआईए (अमेरिका की केंद्रीय जांच एजेंसी) ने 'हाइड्रा' नाम के एक खुफिया प्रोग्राम का इस्तेमाल कर फिर चोरी-छुपे दूसरे देशों के डेटा में सेंघ लगाने का काम किया है। इसके मुताबिक अमेरिकी सरकार के टीएसडी (टेररिस्ट स्क्रीनिंग डेटाबेस) में करीब ७ लाख (६ लाख ११ हजार पुरुष, ३९ हजार महिलाएं) लोगों के नाम शामिल हैं।
यह लिस्ट उन लोगों की है जो अमेरिका के मुताबिक 'या तो आतंकी हैं, या उनपर आतंकी होने का शक' है। इनमें से ४० फीसदी से ज्यादा लोगों यानी दो लाख ८० हजार लोगों को किसी घोषित आतंकी संगठन से ताल्लुक नहीं रखने वाला बताया गया है।
इसके मुताबिक अमेरिका की 'या तो आतंकी हैं, या आतंकी होने का शक' वाले लोगों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या मिशिगन में है, जहां अमेरिका की सबसे अधिक मुस्लिम आबादी रहती है।
इस नए खुलासे से एक बार फिर विश्व में अमेरिका के खिलाफ नाराजगी बढ़ सकती है। आपको याद दिला दें कि हाल ही में अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी के नई देहली के दौरे में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने चोरी-छुपे जासूसी कराने की बात पर कड़े शब्दों में नाराजगी जताई थी।
स्त्रोत : नवभारत टाईम्स