श्रावण शुद्ध ७, कलियुग वर्ष ५११४
मुंबई, २४ जुलाई ( वृत्तसंस्था ) – मुसलमानोंमें गरीबी एवं निरक्षरता है, ऐसा सच्चर समिति कह रही है । उसका कारण जाननेकी आवश्यकता है । किसी मुसलमान परिवारमें १०-१० बच्चे भरे हों, तो घरका अकेला पुरूष कितने बच्चोंको शिक्षा दे पाएगा ? ऐसेमें मुसलमानोंमें गरीबी तो रहेगी ही ! इसलिए यदि नया कानून बनाना ही है, तो समान नागरी कानून बनाकर मुसलमानोंके लिए भी परिवार नियोजन अनिवार्य किया जाए । उससे मुसलमानोंकी गरीबी दूर होगी, ऐसा कठोर प्रहार विधान परिषदके ज्येष्ठ सदस्य श्री. रामदास कदमद्वारा किया गया है । ‘महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग (सुधारणा) विधेयक २०१२’ आज विधान परिषदमें शालेय शिक्षा राज्यमंत्री फौजिया खानद्वारा प्रस्तुत किया गया, उस समय इस विधेयकके उद्देश्यपर शिवसेनाके ज्येष्ठ सदस्य श्री. रामदास कदम ने जोरदार आलोचना की । राज्यमंत्री फौजिया खान ने श्री कदम के एक भी प्रश्नका उत्तर नहीं दिया, इसके विपरीत यह कानून अल्पसंख्यकोंके विकासहेतु कैसे आवश्यक है, यही वे बता रहीं थीं । अंतमें यह विधेयक ऊंची आवाजमें पारित किया गया ।
श्री. रामदास कदमने कहा…….
१. हिंदू भिवंडी एवं मालेगांवमें सुरक्षित नहीं हैं !
२. ‘आज भी सार्वजनिक गणेशोत्सव, श्री अंबामाताकी शोभायात्रा मुसलमानबहुल क्षेत्रसे आगे नहीं ले जाई जाती ।
३. प्रतापगढकी तलहटीमें अफझल खानकी कबरके आस पास ५ सहस्त्र फुट वर्गाकार भूमिपर अनधिकृत निर्माण कार्य किया गया है । उसे हटानेके मुंबई उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालयद्वारा आदेश देनेपर भी सरकार उस आदेशका पालन नहीं करती ।
४. एक आतंकवादीद्वारा ‘वह विधायक निवासमें एक विधायकके कक्षमें रह रहा था’, ऐसी स्वीकृति देनेपर भी उस विधायकपर कार्यवाही नहीं होती । ऐसा होते हुए भी महाराष्ट्रमें मुसलमान असुरक्षित हैं, ऐसा क्यों कहा जाता है ?
‘महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम २००४’ में सुझाए गए भयावह सुधार !
इस सुधारके अनुसार अब आयोगको दीवानी प्रक्रिया संहिता, १९०८ अन्वये दावेकी न्यायिक पूछताछ करनेवाले दीवानी न्यायालयके सभी अधिकार होंगे ।
१. राज्यके किसी क्षेत्रके किसी भी व्यक्तिको समन्स भेजना
२. उसे उपस्थित रहनेके लिए बाध्य करना
३. उसकी शपथपर जांच करना
४. किसी भी दस्तावेज का शोध करना एवं प्रस्तुत करना आवश्यक
५. सत्यप्रतिज्ञा पत्रपर प्रमाण स्वीकारना
६. किसी भी कार्यालयसे कोई भी सार्वजनिक अभिलेख अथवा दस्तावेज मंगवाना
७. साक्ष्य अथवा दस्तावेजोंकी जांच करने हेतु आयोगपत्र जारी करना
हिंदुओं, उक्त सुधारोंके आप पर क्या परिणाम हो सकते हैं, यह जानें ! यह सुधार सरकारने पारित किए हैं, इसलिए इस संबंधमें आपके जनप्रतिनिधिको वे जहां मिले, वहीं फटकारें !
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात