इसिस में सम्मिलित होनेवालोंपर ‘देशद्रोह’ की कार्रवाई करें ! – धर्माभिमानी हिन्दूओंकी मांग
भिवंडी-ठाणे (महाराष्ट्र) : भिवंडी में हुए राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन में इसिस में सम्मिलित होने हेतू जानेवालोंपर देशद्रोह की कार्रवाई की जाए, धार (मध्य प्रदेश) की भोजशाला में सरस्वतीपूजन करने की अनुमति दी जाए, अमरनाथ यात्रा की अवधि अल्प करने के संबंध में किए गए अन्यायकारी निर्णय शासन पीछे ले, साथ ही व्हैलेंटाईन डे जैसी कुप्रथा को रोका जाए, यही मांगे भिवंडी में हुए आंदोलन में रखी गईं।
इस अवसरपर मान्यवरोंने अपने मार्गदर्शन में कहा . . .
इसिस के आतंकवादियोंपर कार्रवाई करें ! – डॉ. उपेंद्र डहाके, कल्याण शहर उपाध्यक्ष, भाजपा
भारत में प्रतिदिन इसिस के आतंकवादी पकडे जा रहे हैं। ऐसी स्थिती में उन्हें प्रवचन दे कर उनका मतपरिवर्तन करना एवं उससे उनमें सुधार हों, ऐसी अपेक्षा रखना, हास्यास्पद है ! ‘अमरनाथ यात्रा’ कश्मीर को संपूर्ण भारत से जोडनेवाली धारा है। इसलिए यात्रा की अवधि अल्प करना एवं यात्रा में होनेवाले अन्नछत्रपर कर लगाना, ऐसे निर्णयोंको निरस्त कर, शासन यात्रा को सुरक्षा प्रदान करें !
हिन्दूओंको धार की भोजशाला में वसंतपंचमी के दिन पूजन करने, दिया जाए ! – श्री. सुशील तिवारी, स्वराज्य हिन्दू सेना
धार की भोजशाला हिन्दूओंकी है तथा वहां पर केवल हिन्दूओंको ही पूजा करने की अनुमति हो ! आज वहांपर हिन्दूओंको प्रतिबंध किया जा रहा है। इतिहास में ‘भोजशाला’ राजा भोजद्वारा बनायी गई, ऐसा उल्लेख है; इसलिए उसपर पहला अधिकार हिन्दूओंका ही है ! हिन्दूओंकी पुरातन वास्तूओंको यदि इस प्रकार से अन्य धर्मीय हडपने लगें, तो क्या हिन्दू, हिन्दी महासागर में जाकर रहें ?
‘वैलेंटाइन डे’ के स्थानपर ‘मातृ-पितृ दिन’ मनाने के लिए मान्यता दें ! – श्री. विलास वडपकर, योग वेदांत समिति
‘वैलेंटाइन डे’ मनाना हिन्दू संस्कृति के विरोध में है ! इसे रोकने के लिए आसारामबापूजी के शिष्योंकी ओर से इस दिन पर ‘मातृ-पितृ दिन’ मनाया जाता है। इस दिन को ‘मातृ-पितृ पूजन दिन’ के रूप में मान्यता दें !
क्षणिकाएं
१. भादवड चौक के रिक्शा चालक-मालिक असोसिएशन के भूतपूर्व अध्यक्ष श्री. दशरथ भोईर को आंदोलन का विषय बतानेपर उन्होंने सब रिक्शा मालिकोंको आंदोलन स्थलपर होनेवाली रिक्शाओंको हटाने के लिए कहकर आंदोलन के लिए जगह खाली करा दी !
२. श्री सद्गुरू स्वीट्स के मालिक श्री. संदीप गुप्ता ने अपने दुकान से आंदोलन के ध्वनिसंयंत्र के लिए बिजली उपलब्ध करा दी !
३. सरवली के धर्माभिमानी हिन्दूओंने ही इस आंदोलन का संपूर्ण आयोजन किया था !
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इसे अवश्य पढें . . .
• हिंदुओ, ब्रिटिशोंका जूठा खानेकी अपेक्षा महान हिंदु संस्कृतिका आदर्श सामने रखकर उसका पालन करें !
• इस्लामी आक्रमणकारियोंसे लडनेवाली भोजशाला (सरस्वती मंदिर) को पुनर्वैभव की प्रतीक्षा में !
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स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात