श्रीकृष्णजी के मख्खन का गोला !
हर सूत्र को बुद्धि की कसौटीपर जांचनेवाले बुद्धीवादी ऐसे चमत्कारोंपर कभी नहीं बोलते, यह ध्यान में लें !
महाबलीपूरम (तमिलनाडू) : चेन्नई से ६० कि.मी. दूरीपर ‘महाबलीपूरम’ यह विख्यात तीर्थक्षेत्र है ! यहां से निकट ही एक पहाड़ी पर २० फीट उंची, १६ फीट चौडी एवं २५० टन की एक अजस्र गोल शिला है ! इसे ही ’श्रीकृष्णजी का मख्खन का गोला’ कहा जाता है। यह शिला ऐसी ही स्थिती में लगभग १ सहस्र २०० वर्षोंसे वहां पर है, ऐसा कहा जाता है !
१. प्राचीन काल से अस्तिस्तव में होनेवाली यह शिला केवल ४ फीट क्षेत्र व्याप्त कर, एक टीले के अग्रपर स्थिर है ! (चित्र देखें)
२. इतने वर्षों बाद भी उसकी आकार में कोई गिरावट नहीं आई अथवा वह नीचे भी नहीं लुढकी !
३. यह शिला कैसे खडी है, यह वैज्ञानिक दृष्टि से एक आश्चर्य ही समझा जाता है। २५० टन की शिला केवल ४ फीट क्षेत्र के नीवपर कैसे खडी रह सकती है, इस विषय में सब को जिज्ञासा है !
४. वर्ष १९०८ में तत्कालिन मद्रास प्रांत के राज्यपाल (गव्हर्नर) आर्थर लॉली ने ७ हाथियोंको लगाकर इस शिला को हिलाने के असफल प्रयास किए थे !
५. ऐसा ही एक प्रयास, पल्लव वंश के राजा नरसिंह वर्मन ने भी किया था; परंतु उसका उद्देश, इस शिला को कोई शिल्पकार हाथ ना लगाएं; ऐसा था।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात