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देश एवं राष्ट्रध्वजके अपमानका विरोध न करनेवाले लोगोंको सत्तामें रहनेका क्या अधिकार है ? – पू. डॉ. चारूदत्त पिंगळे

भाद्रपद कृष्ण पक्ष तृतीया, कलियुग वर्ष ५११६

देहलीमें राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन

देहली – हाल-हीमें ग्लासगोमें संपन्न राष्ट्रकुल क्रीडा प्रतियोगितामें भारत देश एवं भारतके राष्ट्रध्वजके अपमानके प्रकरणमें मोदी शासन क्यों मौन हैं, यह अनाकलनीय है । इस प्रतियोगिताके उद्घाटन समारोहके समय कुत्तोंको विविध देशोंके नामवाले वस्र पहनाकर घुमाया गया था । इनमें भारत (इंडिया) नाम लिखे कुत्तेके गलेकी रस्सी एक महिलाके हाथमें थी ।

समितिद्वारा जंतरमंतरपर आयोजित राष्ट्रीय हिंदू आंदोलनमें बोलते हुए हिन्दू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगलेने प्रतिपादित किया कि यह कृत्य अत्यंत निम्न स्तरका है एवं इससे भारतका अपमान हुआ है । क्या मोदी शासनको इस प्रकार भारतका अपमान स्वीकार है ? आंदोलनके समय उपासना सेवा केंद्रके श्री. दिनेश दवेने कहा कि यदि भारतके राष्ट्रध्वजका अपमान होता है, तो उसका विरोध करना देशके प्रधानमंत्रीका प्रथम कर्तव्य है । मोदीमें देशप्रेम है; परंतु अब उसको प्रत्यक्ष कृतिमें लानेकी आवश्यकता है ।

समर्थ संगठनके महामंत्री श्री. मनीष मंजुलने कहा, ‘भाजपा यह ध्यानमें रखे कि वर्ष २०१४ में लोकसभा चुनाव केवल १० प्रतिशत विकास एवं ९० प्रतिशत हिंदुत्वके सूत्रपर लडे गए हैं ।’ इस देशके बहुसंख्यक हिन्दुओंने उनको मतदान किया है, इसका भान रखकर उनको हिन्दूहितका निर्णय लेना चाहिए ।

इस अवसरपर हिन्दू जनजागृति समितिके पंजाब एवं हरियाणा राज्य समन्वयक श्री. सुरेश मुंजालने भी अपने विचार प्रस्तुत किए । इस आंदोलनमें उपासना सेवा केंद्र, समर्थ, आर्य समाज, हिन्दू महासभा, सनातन संस्था, हिन्दू जनजागृति समिति आदि संगठनोंके कार्यकर्ता सम्मिलित थे ।

हिन्दुओ, धर्मांधोंकी सतर्कताको जाने !

यह आंदोलन चालू रहते समय धर्मांध बीच-बीचमें आकर निगरानी कर जा रहे थे ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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