भाद्रपद कृष्ण पक्ष पंचमी, कलियुग वर्ष ५११६
हिन्दुओ, आपके उत्सवोंके संदर्भमें केवल हिन्दू जनजागृति समिति ही उचित भूमिका अपनाती है, यह ध्यानमें लें !
मुंबई – दहीहंडीमें बालकोंकी सुरक्षाके लिए मुंबई उच्च न्यायालयके निर्णयका हिन्दू जनजागृति समिति स्वागत करती है । इसलिए दहीहंडी समान धार्मिक उत्सवके मूल संकल्पनाको नष्ट कर मनोरंजन करनेवाले एवं प्राणलेवा प्रतियोगिताओंका खेल करनेवाली अनुचित घटनाओंकों कुछ हदतक प्रतिबंध लगेगा । इससे पुरोगामी एवं समानताका दिखावा करते हुए अपूर्ण एवं तंग वस्र परिधान किए दहीहंडी पथक स्थापित करनेकी नई परंपराका आरंभ हो रहा है, जिसे न कोई शास्त्राधार है ना इतिहास । इन महिलाओंकी दहीहंडीके लिए भीड करनेवाले लोगोंमें महिलाओंके विषयमें सम्मान रखनेवाले लोगोंकी अपेक्षा व्यर्थ शौक करनेवाले ही अधिक रहते हैं । इस प्रकारसे उत्सव मनानेसे क्या हम अपनी संस्कृतिका सम्मान करते हैं ? एक प्रकारसे उत्सवकी पवित्रता एवं सम्मान नष्ट करनेवाली अनुचित घटनाओंपर भी प्रतिबंध लगाना आवश्यक है , ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा एक प्रसिदि्धपत्रकके माध्यमसे की गई है ।
१. दहीहंडी हिन्दुओंका धार्मिक त्यौहार है । इस उत्सवको केवल खेलके रुपमें देखा गया । इसीलिए इसमें अनुचित घटनाओंका समावेश होकर यह उत्सव कलंकित हुआ । अंतमें न्यायालयको इसमें हस्तक्षेप करना पडा ।
२. इस उत्सवका बाजारीकरण करनेवाले कुछ गोविंदा मंडलोंमें मद्य पीना, वाहनोंपर जाते हुए युवतियोंके साथ छेडखानी करना ऐसी अनुचित घटनाएं भी बढ रहे हैं ।
३. दहीहंडी केवल अश्लील गीतोंपर आडेतेढे अंगविक्षेप करते हुए नाच करनेतक सीमित नहीं रही, अपितु जितेंद्र आवाड समान सवंग लोकप्रतिनिधियोंको सनी लिओन समान अश्लील चलचित्रमें काम करनेवाले अभिनेत्रीको निमंत्रण देकर दहीहंडीकी अपकीर्ति ही की है ।
४. ऐसी परिसि्थतिमें हिन्दुओंको स्वयं अपने उत्सवोंकी आचारसंहिता निशि् चत करनेका समय आ गया है । सभीको अपेकि्षत है कि कोई भी उत्सव समाजको आल्हाद एवं आनंद प्रदान करनेवाला हो ।
५. स्वार्थी एवं प्रसिदि्धलोलूप राजनेताओंके नियंत्रणमे जाकर दबावमें आकर न लाख-लाख रुपयोंके पारितोषिक प्राप्त करने हेतु जानकी बाजी लगाना, छोटे बच्चोंका समावेश करना, दहिहंडीकी उंचाईकी प्रतियोगिता आयोजित करना तथा महिला दहीहंडी पथक आदि बढनेवाली अनुचित घटनाएं धार्मिक उत्सवका अनादर ही है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात