भाद्रपद कृष्ण पक्ष षष्ठी, कलियुग वर्ष ५११६
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नई दिल्ली – सहारनपुर में दंगा पीड़ित सिक्ख व हिंदू समाज से मिलने के बाद डा. सुरेन्द्र जैन के नेतृत्व में विश्व हिन्दू परिषद का एक प्रतिनिधि मंडल आज अल्पसंख्यक आयोग से मिला। उन्होंने आयोग के सामने सहारनपुर के दंगा पीड़ितों की मार्मिक स्थिति का वर्णन करते हुए बताया कि न्यायपालिका के स्पष्ट निर्णय के बावजूद जिस प्रकार की आगजनी और हमले हुए, वह स्पष्ट रूप से इस बात का प्रतीक है की मुस्लिम समाज का एक वर्ग सबको अपनी शर्तों पर जीने के लिए मजबूर करना चाहता है। प्रशासन व सरकार की भूमिका पूर्ण रूप से पक्षपातपूर्ण रही है। तुष्टिकरण की दौड़ में आगे दिखने के लिए न केवल दंगाइयों को खुली छूट मिली अपितु निरपराध सिक्ख व हिंदू नेताओं पर झूठे मुकदमे भी बनाए गए। अब भी क्षतिपूर्ति निर्धारण में जिस प्रकार का भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जा रहा है, वह एक नए असंतोष और अविश्वास को निर्माण करेगा। सिख समाज के ऊपर किये गए बर्बर हमले से यह सिद्ध हो गया है कि अल्पसंख्यक भाई चारे की अवधारणा भ्रम मात्र है। ऐसा दिखाई देता है कि मुस्लिम समाज का एक वर्ग किसी भी गैर इस्लामिक समाज के अस्तित्व को स्वीकार करने की लिए तत्पर नहीं है।
विहिप प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि इस वर्ग में एक अजीब प्रकार की अलगावपूर्ण आक्रामक मानसिकता दिखाई दे रही है। ईराक, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, कुछ खाड़ी के देश, बंगलादेश व अन्य कई देशों में इस मानसिकता के परिणाम दिखाई दे रहे है। भारत में भी पिछले दिनों में घटी घटनाऐ इस मानसिकता की ओर संकेत करती है। कश्मीर के कौसरनाग की यात्रा को जिस प्रकार रोका गया उससे यह स्पष्ट होता है की वे वहाँ के ही रहने वाले कश्मीरी पंडितो के पुनर्वास की बात तो दूर,उनको अपने धार्मिक कार्यक्रम भी नहीं करने दे सकते। बालटाल में लंगरों को लूटने और हिंदू देवी देवताओ की मूर्तियों को अपमानित करने बाद जिस तरह राष्ट्र विरोधी नारे लगे वह उनकी अलगाववादी मानसिकता का प्रतीक है।बर्मा के संघर्ष के बाद मुंबई के उग्र प्रदर्शन में तो राष्ट्रीय स्मारकों पर हमले भी किये गए। हर उग्र प्रदर्शन या दंगे के बाद इस तरह के नारे लगाना आम बात हो गई है। ISIS में भर्ती होने का अभियान, उसकी टी शर्ट पहनकर घूमना इसी प्रवृत्ति का प्रतीक है लव जेहाद का घिनौना षडयंत्र अब तेजी से फैलता जा रहा है। मा० केरल उच्च न्यायालय ने भी इस पर चिता व्यक्त की है। भारत में कई दंगों में यही कारण प्रमुख रूप से केंद्रबिंदु रहा। दुर्भाग्य से भारत के छद्म-सेक्युलरिष्ट इस मानसिकता को अपने निहित स्वार्थो के कारण बढ़ावा दे रहे है।
डा जैन ने बताया कि इस परिस्थिति को ठीक करने में अल्पसंख्यक आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। भारत की ये समस्याऐ अल्पसंख्यकवाद के कारण निर्माण हो रही हैं। मा० सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस लाहोटी ने 2005 के एक मामले में आपके इस दायित्व को परिभाषित किया था। उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत में अल्संख्यकवाद देशहित में नहीं है। यह समाप्त होना चाहिए और अल्पसंख्यक आयोग इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर सकता है। विहिप ने स्पष्ट किया कि भारत में सभी भारत माँ के पुत्र है। यह भावना ही समाज में सदभाव निर्माण कर सकती है। यह भाई चारा ही सबके हितों की सुरक्षा की गारंटी है। अल्संख्यकवाद ने अल्पसंख्यकों में भी दुर्भाव ही निर्माण किया है। विहिप ने अपील की की वे देशहित में अपने इस दायित्व को स्वीकार करें और भारत को अल्पसंख्यकवाद के अभिशाप से मुक्त कराये। यही कदम भारत में स्थायी शांति का निर्माण करेगा।
इस प्रतिनिधि मंडल में डा. सुरेन्द्र जैन के अतिरिक्त विहिप के केन्द्रीय मंत्री श्री खेमचंद शर्मा व श्री प्रशांत हरतालकर तथा विहिप की स्वर्ण जयंती महोत्सव समिति के प्रवक्ता श्री विनोद बंसल भी सम्मिलित थे। श्री हरतालकर ने पाकिस्तान और बंग्लादेश में हिंदुओ पर हो रहे अत्याचारों का भी मार्मिक वर्णन किया।