भाद्रपद कृष्ण पक्ष पंचमी, कलियुग वर्ष ५११६
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नई देहली : सरकार ऎतिहासिक रामसेतु को नुकसान पहुंचाए बिना भारत और श्रीलंका के बीच पाक जलसंधि और मन्नार की खाड़ी को जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी सेतुसमुद्रम परियोजना जारी रखेगी। पोत परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान तमिलनाडु के सदस्यों द्वारा इस बाबत पूछे जाने पर कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं। लेकिन सरकार रामसेतु को ध्वस्त नहीं किए जाने के अपने रूख पर कायम है।
सेतुसमुद्रम के लिए ४ विकल्प
गडकरी ने कहा कि इस मामले में मोदी सरकार का रूख स्पष्ट है। सरकार किसी भी हालत में रामसेतु (एडम ब्रिज) को तोड़ने की इजाजत नहीं देगी, लेकिन इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए वह शीर्ष अदालत के निर्देशानुसार विकल्प भी तलाशेगी। उन्होंने बताया कि सरकार के पास सेतुसमुद्रम परियोजना से संबंधित आपत्तियों के हल के लिए फिलहाल चार विकल्प सामने आए हैं। वह इस महीने वहां जाएंगे और लौटने के बाद सुप्रीम कोर्ट को उचित विकल्प सुझाएंगे।
इससे पहले जलमार्ग से संबंधित एक पूरक प्रश्न के उत्तर में गडकरी ने तमिलनाडु सरकार पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि ऎसा अक्सर देखा गया है कि सत्ता परिवर्तन के बाद आई नई राज्य सरकार पुरानी सरकार की योजनाओं को निरस्त कर देती है, ऎसा नहीं होना चाहिए।
तमिलनाडु सरकार से सहयोग की अपील
उन्होंने तमिलनाडु सरकार से अपील की कि वह राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को अलग रखकर आर्थिक विकास दर (जीडीपी) को बढ़ावा देने वाली पुरानी जलमार्ग परियोजनाओं को चलने दे।
उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं से रोजगार के अवसर तो बढ़ेंगे ही, जिसका योगदान जीडीपी में देखने को मिलेगा। जलमार्ग को परिवहन का सस्ता साधन करार देते हुए गडकरी ने सदन को अवगत कराया कि वह जलमार्ग से संबंधित दीर्घकालिक योजना बना रहे हैं और इस बारे में वह जल्द ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करने वाले हैं।
उन्होंने बताया कि अंतर्देशीय जलमार्गोंको को दुरूस्त करने के लिए विश्व बैंक ने करीब ४२०० करोड़ रूपए के ऋण की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।
स्त्रोत : राजस्थान पत्रिका