भाद्रपद कृष्ण पक्ष त्रयोदशी, कलियुग वर्ष ५११६
हिन्दुओ, इस सफलताके विषयमें ईश्वरके चरणाोंमें कृतज्ञता व्यक्त करें !
मुंबई – अमेरिकाके ‘ओम शांति क्लोथिंंग’ आस्थापनद्वारा महिलाओंके अंतर्वस्त्रोंपर हिन्दुओंके देवी-देवताओंके छायाचित्र छापकर उनका विक्रय किया जाता था । इसकी जानकारी मिलनेपर हिन्दू जनजागृति समितिके समन्वयक श्री. शिवाजी वटकरने इस आस्थापनको पत्र लिखकर उनका प्रबोधन किया । तत्पश्चात आस्थापनके व्यवस्थापनने क्षमायाचना कर देवी-देवताअोंके छायाचित्रवाले अंतर्वस्त्र बिक्रीसे हटा लिए ।
श्री. शिवाजी वटकरने कथित आस्थापनको भेजे हुए पत्रमें कहा है कि आपने आस्थापनका नाम ‘ओम शांति क्लोथिंग’ रखकर हिन्दू धर्मके विषयमें आस्था दर्शाई, इस विषयमें मैं आपका आभारी हूं । तथापि महिलाओंके अंतर्वस्त्रोंपर हिन्दुओंके देवी-देवताओंके छायाचित्र छापकर उनका विक्रय करनेसे देवी-देवताओंका अनादर होता है । अतः देवी-देवताओंका अनादर होकर करोडों हिन्दुओंकी धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं । ऐसा करना भारतीय दंड विधानके अनुसार अपराध है । इसलिए आप इन अंतर्वस्त्रोंका विक्रय न करें, ऐसी विनती है ।
इसके प्रत्युत्तरमें आस्थापनके व्यवस्थापनने श्री. वटकरसे क्षमायाचना कर समितिको सूचित किया कि वे देवी-देवताओंके छायाचित्रवाले अंतर्वस्त्र हटा ले रहे हैं ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
अद्ययावत
१७ अगस्त २०१४, भाद्रपद कृष्ण पक्ष सप्तमी, कलियुग वर्ष ५११६
फ्लोरिडास्थित ‘ओम् शांति क्लोथिंग’द्वारा देवी-देवताओंके छायाचित्रोंका उपयोग !
धर्माभिमानियोंद्वारा प्रविष्ट निषेधको आस्थापनद्वारा कूडादानी ऐसा किया गया है, हिन्दुओंके देवी-देवताओंका अपमान !
धर्माभिमानी हिन्दू आगे दिए पतेपर उसका निषेध प्रविष्ट कर रहे हैं ।ओम शांति क्लोथिंग, ५८५७ एसडब्ल्यू २१, वेस्ट पार्क, फ्लोरिडा, अमरीका दूरध्वनि क्रमांक : (७८६) २०८ ६३०९ इ-मेल : [email protected] |
पुणे – अमेरिकामें फ्लोरिडा स्थित ‘ओम शांति क्लोथिंग’ वस्त्र बनानेवाले आस्थापनद्वारा महिला, पुरुष एवं छोटे बच्चोंके लिए बनाए गए वस्त्रोंके माध्यमसे भगवान श्री गणेश, शिव, लक्ष्मी आदि देवी-देवता एवं शुभचिन्होंका अनादर किया गया है । ( क्या इस प्रकारसे कभी येशू अथवा प्रेषितोंका अनादर किया जाता है ? यदि वैसा किया गया, तो उसका किस प्रकारका दुष्परिणाम इस आस्थापनको भुगतना पडेगा, क्या इसका उन्हें अनुमान है ? हिन्दुओ, आपके असंगठित होनेके कारण ही आज कोई भी उठकर आपके श्रद्वास्थानोंका अनादर करता है । प्रसिदि्धमाध्यमोंद्वारा हिन्दुओंके आस्थास्थानोंके अनादरपर ध्यान नहीं दिया जाता । इसलिए यदि ऐसी घटनाओंको स्थायी रूपसे रोकना है, तो ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करना अनिवार्य है ।- संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) हिन्दू धर्माभिमानियोंद्वारा इस विषयमें किए निषेधको भी कथित आस्थापनद्वारा कोई महत्व नहीं दिया गया है । हिन्दू जनजागृति समितिने भी निषेधपत्र भेजा है, जिसे अभीतक प्रतिसाद नहीं मिला है । (हिन्दुओ, आपकी धर्मभावनाओंका क्या मूल्य है, देखें एवं अब तो हिन्दू संगठन होने हेतु सकि्रय हों ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इस आस्थापनने केवल कुछ वस्त्रोंके माध्यमसे नहीं, अपितु लगभग सभी वस्त्रोंके माध्यमसे हिन्दू संस्कृतिके प्रतिकोंका अपमान किया है । omshanticlothing.com आस्थापनके संकेतस्थलसे वस्त्रोंका ऑनलाईन विक्रय चालू है ।
अपमानास्पद क्या है…
१. महिलाओंके लेगिंग्जपर (तंग पाजामा) पोटरीके स्थानपर आनेवाले हिस्सेपर भगवान श्री गणेश, श्री शिव तथा श्री लक्ष्मीके छायाचित्र रंगाए गए हैं । ‘ओम् शांति पावर पैंट्स’के नामसे इन पाजामोंंका विक्रय हो रहा है ।
२. टी शर्टस्पर सामनेकी ओर ओम तथा नमस्ते आदि शब्द लिखे हैं । कुछ स्थानपर योगऋषि साधना कर रहे हैं एवं देवी-देवताके छायचित्र छापे गए हैं ।
आस्थापनका अज्ञान अथवा हिन्दूद्वेषको दिया गया बढावा इस आस्थापनके संकेतस्थलपर कहा गया है कि परिधान किए गए वस्त्रोंके माध्यमसे अंतिम सत्य उजाकर करना हमारा ध्येय है । नमस्ते, शांित, स्वतंत्रता तथा संतुलनसमान सामथ्र्यशील शब्द जनतातक पहुंचाना ही आस्थापनकी प्रेरणा है । (वस्त्रोंपर साति्त्वक शब्द लिखकर साति्त्वकताका प्रसार नहीं होता, अपितु उसके लिए साति्त्वक वस्त्रोंकी आवश्यकता होती है । एक ओर वस्त्रोंपर हिंदुओंके देवी-देवताओंके छायाचित्र रंगाकर उनका अपमान किस प्रकार होगा, इसका ध्यान रखना तथा दूसरी ओर यह अंतिम सत्यके प्रसारके लिए कर रहे हैं, ऐसा बताना दुरंगापन नहीं है तो और क्या है ? आस्थापनद्वारा बिना किसी कारणके फंसानेवाली एवं अयोग्य भूमिका प्रस्तुत कर उसका हिन्दू द्वेष सौम्य करनेका प्रयास किया जा रहा है । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात