ख्रिस्ती धर्मगुरुआेंका सच्चा रूप – सम्पादक, हिन्दूजागृति
लंदन – कैथोलिक ईसाइयों के दिवंगत धर्मगुरु पोप जॉन पॉल द्वितीय के एक महिला के साथ ३० वर्ष से अधिक समय तक गुप्त करीबी संबंध थे।
यह दावा बीबीसी ने सैकडो पुराने और अनदेखे प्रेम पत्रों तथा तस्वीरों के आधार पर तैयार एक डॉक्यूमेंट्री में किया है। यह डॉक्यूमेंट्री मंगलवार को प्रसारित की गई।
ये महिला पॉलिश मूल की अमरीकी दार्शनिक थीं। उनका नाम एना-टेरेसा टाइमीनीका था। एना को लिखे पोप के पत्र कई वर्ष तक लोगों की पहुंच से दूर पोलैंड की नेशनल लाइब्रेरी में रखे हुए थे।
इन चिट्ठियों के ज़रिए पोप जॉन पॉल द्वितीय के जीवन के कई अनदेखे पहलू पहली बार सामने आए हैं। उनकी मौत साल २००५ में हुर्इ थी । इन पत्रों से इस बात का प्रमाण भी मिल सकता है कि, उस महिला के साथ पोप के शारीरिक संबंध हो सकते है ।
पत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन दोनों की मित्रता १९७३ में शुरू हुई। तब वे पोप नहीं बने थे, कराकव के आर्चबिशप कार्डिनल कैरोल वोजत्यला थे। उन्होंने तब दर्शनशास्त्र पर एक पुस्तक लिखी थी।
एना टेरेसा उनसे उसी पुस्तिका के बारे में कुछ जानने आई थीं। फिर वो किताब के सिलसिले में अमरीका से पोलैंड गईं। कुछ ही दिनों में दोनों के बीच बातचीत और उसके बाद पत्रों का सिलसिला शुरू हो गया।
शुरुवात में तो कार्डिनल की चिट्ठियां औपचारिकताओं से भरी होती थीं। किंतु फिर उनकी दोस्ती बढने लगी। दोनों करीब आते चले गए। दोनों ने मिलकर कार्डिनल की पुस्तिका के बाद से संस्करण ‘द एक्टिंग पर्सन’ पर काम करना तय किया।
इस सिलसिले में उनकी कई बार भेट होती रही । कभी सेक्रेटरी की मौजूदगी में तो कभी-कभी अकेले भी। जो तस्वीरें सामने आईं हैं, उनमें वे एना के साथ बेहद शांत दिखाई देते हैं। यह तब की बात है, जब पोप ने एना को छुट्टियां बिताने अपने देश बुलाया था। इसमें एना वैटिकन में भी पोप से मिलती दिखाई देती हैं।
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में ईसाई धर्म के इतिहास के प्रोफ़ेसर बताते हैं, २० वीं सदी की महान शख़्सियत का, कैथोलिक चर्च के मुखिया, एक आकर्षक महिला के साथ गहरा रिश्ता था।
१९७६ में कार्डिनल अमरीका में हुए कैथोलिक कांफ्रेंस में गए थे। वहां एना ने उन्हें न्यू इंग्लैंड में उनके घर आने का न्यौता दिया था। एना के लिखे तीन पत्रों को पोप ने ‘ईश्वर का उपहार’ कहा था।
एना की मृत्यु २०१४ में हो चुकी है। वहीं पोप की मौत ८४ साल की उम्र में २००५ में हो गई। वे १९७८ से २००५ तक पोप रहे। उसके बाद उन्हें संत घोषित कर दिया गया। बीबीसी ने लिखा है कि उसने केवल पोप के लिखे पत्र देखे हैं। एना की ओर से लिखे गए पत्र नहीं देखे।
स्त्रोत : MakingIndia