भाद्रपद कृष्ण पक्ष नवमी, कलियुग वर्ष ५११६
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कराची – पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू धर्मावलंबियों के समक्ष जबरन धर्मांतरण का सबसे बड़ा खतरा है लेकिन वे डर के कारण सार्वजनिक तौर पर इसका खुलासा नहीं कर पा रहे हैं।
पाकिस्तान हिंदू सेवा वेलफेयर ट्रस्ट के कानूनी सलाहकार अमरनाथ मोटूमल ने मीडिया को बताया कि पाकिस्तान में सक्रिय ताकतवर धार्मिक समूहों के खिलाफ जाने पर बड़ा खामियाजा भुगतने के डर से यहां रह रहे हिंदू अपनी शिकायतें दर्ज नहीं कराते। वे सार्वजनिक तौर पर कभी भी अपनी आशंकाओं एवं चिंताओं का खुलासा नहीं कर पाते।
मोटूमल ने कहा कि किसी भी धर्म में धर्मांतरण तर्क संगत चर्चा के बाद होना चाहिए लेकिन यहां ऎसा नहीं हो रहा।
पाकिस्तान में इस्लाम के नाम पर बल प्रयोग करके जबरन हिंदू लड़कियों को अगवा किया जा रहा है और उनकी खरीद-फरोख्त हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि जबरन धर्मांतरण का शिकार हुई लड़कियों को न्याय नहीं मिल रहा है।
ट्रस्ट के उपाध्यक्ष चंदर कोहली ने बताया कि सिंध प्रांत के कई हिस्सों में हिंदुओं को बंधुआ मजदूरी, उत्पीड़न और बलात्कार का शिकार होना पड़ रहा है। कई पीडितों ने तो आत्महत्या तक कर ली है लेकिन कोई अपनी शिकायतें दर्ज कराने नहीं जाता और अगर कोई ऎसी हिम्मत करता है तो उसे नतीजे भुगतने पड़ते हैं।
उन्होंने कहा कि ज्यादातर पीडित ऎसी किशोरियां हैं जिनके माता-पिता बेहद गरीब हैं। वे एक बार अगवा होने के बाद अपनी बेटियों को खोज भी नहीं पाते। अगर उन्हें खोजने में कामयाबी मिल भी जाती है तो उनके मामले सालों तक अदालतों में लटके रहते हैं और दोषी खुलेआम घूमते रहते हैं।
धर्मांतरण के बाद ये लड़कियां भी इस डर से वापस अपने परिवार में नहीं लौटना चाहतीं कि इससे उनकी जान एवं उनके परिजनों के लिए खतरा पैदा हो जाएगा।