भाद्रपद कृष्ण पक्ष नवमी, कलियुग वर्ष ५११६
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राजौरी (कश्मीर) : बाबा गुलाम शाह बादशाह यूनिवर्सिटी में तिरंगा फहराने को लेकर कई दिनों से मचा घमासान हो रहा था परन्तु स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडा फहराने के समय घमासान तो शांत तो हो गया लेकिन इसके साथ ही एक नया विवाद और शुरू हो गया।
दरअस्ल बात यह हुई कि पहली बार झंडा तो फहराया गया लेकिन इस दौरान राष्ट्रगान नहीं गाया गया, जबकि झंडा फहराने के बाद राष्ट्रगान करना जरूरी हो जाता है। लेकिन झंडारोहण की खानापूर्ति में जुटे विश्वविद्यालय प्रशासन को शायद इस जरूरी नियम की परवाह ही नहीं रही। वहीं विवि के रवैय पर छात्रों में भारी नाराजगी रही। विवि के छात्र जहां कैंपस में तिरंगा फहराने को लेकर एकजुट थे वहीं विवि तिरंगा फहराने की अनुमति देने से इंकार कर रहा था। छात्र झंडा फहराने की जिद पर अड़े रहे। झंडा लहराया गया लेकिन विवि का रवैया देश की आजादी के प्रति कृतज्ञ होने के बजाय खानापूर्ति वाला रहा।
यही कारण रहा कि विवि प्रशासन ने भारी दबाव के बीच झंडारोहण तो किया लेकिन इस दौरान राष्ट्रगान नहीं गाया गया। छात्रों ने इस पर आपत्ति जताई लेकिन विवि प्रशासन ने इसकी अनदेखी करते हुए कार्यक्रम चंद मिनटों में निपटा दिया।
इसके बाद छात्रों ने वहां वंदेमातरम के नारे लगाए। यह देख विवि के दूसरे छात्रों ने भी उनका साथ दिया और वंदे मातरम् के नारे लगाते हुए राष्ट्रध्वज को प्रणाम किया।
स्त्रोत : पंजाब केसरी