भाद्रपद कृष्ण पक्ष दशमी, कलियुग वर्ष ५११६
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मेरठ (उत्तरप्रदेश) : नगर की जाकिर कालोनी में मदरसे की आड़ में पब्लिक स्कूल संचालित किया जा रहा है। एक ही पते पर 'मदरसा एमजी इस्लामिया' और 'एमजी पब्लिक' स्कूल चल रहा है। आरोप है कि जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के नाक के नीचे यह सब हो रहा है, लेकिन विभाग के अफसर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने हाल में ही शास्त्रीनगर मेरठ में चल रहे मदरसा अलमकतबातुल इकरा की मान्यता इस आधार पर रद कर दी थी कि पब्लिक स्कूल और मदरसा एक ही परिसर में चलाया जा रहा है। वहीं, जाकिर कालोनी में एमजी पब्लिक स्कूल चल रहा है और उसी पते पर मदरसा एमजी इस्लामिया संचालित किया जा रहा है, लेकिन जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। बकायदा एमजी पब्लिक स्कूल की डायरी में उल्लेख है कि यह उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी मीडियम का स्कूल है। मदरसे के नाम पर पब्लिक स्कूल की मोटी फीस ली जा रही है। अनियमितता यही खत्म नहीं होती। एमजी पब्लिक स्कूल से बच्चों को दी जा रही बेल्ट पर स्थापना वर्ष १९९० अंकित है, जबकि स्कूल डायरी के मुख्य पृष्ठ पर स्थापना वर्ष २०१० छपा है। कहीं न कहीं, विभाग और अभिभावकों के आंखों में धूल झोंकी जा रही है।
इस बाबत जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी एसएन पांडे बताते हैं कि 'एमजी पब्लिक स्कूल' नाम की कोई संस्था ही नहीं है। होती तो, बीएसए के यहां संस्थान का रजिस्ट्रेशन होना चाहिए था। उनका तर्क है कि मदरसा प्रबंधक 'मदरसा एमजी इस्लामिया' नाम से ही पब्लिक स्कूल चला रहे हैं। एक परिसर में दो संस्थान नहीं, बल्कि एक ही संस्थान है, सो कार्रवाई नहीं की जा रही है। सवाल उठता है कि फिर स्कूल ड्रेस के बेल्ट एवं डायरी पर 'एमजी पब्लिक स्कूल' क्यों छपा है ? स्कूल का बकायदा अलग 'लोगो' का प्रयोग क्यों किया जा रहा है ? यह गड़बड़झाला मिलीभगत की तरफ इशारा कर रहा है।
इनका कहना है..
'मदरसा एमजी इस्लामिया' नाम से मदरसा पंजीकृत है। अब तक मुझे यह जानकारी थी कि इसी नाम से पब्लिक स्कूल संचालित किया जा रहा है। अगर 'एमजी पब्लिक स्कूल' नाम से अन्य कोई संस्था चल रही है, इसका बेल्ट और स्कूल डायरी बच्चों को दी जा रही है तो मामले की पड़ताल कराएंगे। जहां तक फीस लेने की बात है तो मदरसा फीस लेने के लिए स्वतंत्र है।
– एसएन पांडे, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी
स्त्रोत : जागरण