श्रावण शुद्ध ९, कलियुग वर्ष ५११४
सनातन गत १२ वर्षोंसे जो कहता आया है, वह बुरा समय यही है !
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पत्थरसे फोड़ी हुई त्रिमुखी दत्तमूर्ति |
पुणे, २६ जुलाई (वार्ता.) – वारजेमें ‘कैनॉल रोड’के निकट स्थित दत्तमंदिरमें किसी अज्ञात व्यक्तिने २४ जुलाईकी मध्यरात्रि दो से सुबह पांच, इस कालावधिमें दत्तमूर्तिका घोर अनादर किया । त्रिमुखी दत्तमूर्तिकी नाक तथा श्रीविष्णुकी मूर्तिकी आंखें पत्थरसे फोड दीं । मूर्तिकी हाथकी गदाको भी चोट पहुंची । (हिंदू धर्माविषयी जागृत न होनेसे ही उनके श्रद्धास्थानोंपर इस प्रकारके आक्रमण किए जाते हैं । इस संदर्भमें महाराष्ट्रके राज्यनेता भी अपना दायित्व दूसरोंपर ढकेलते हुए ऐसी धमकियां देते हुए रहे हैं कि ‘चोरी होनेपर विश्वस्तोंपर कार्यवाही करके मंदिर अपने नियंत्रणमें ले लेंगे ।’ इसलिए अब तो हिंदुओंको ही अपने मंदिरोंकी रक्षाके लिए सिद्ध (तैयार) होनेके अतिरिक्त पर्याय नहीं ! – संपादक) इस प्रकरणमें वारजे पुलिस ठाणेमें परिवाद (रिपोर्ट) प्रविष्ट किया गया है ।
मंदिरके विश्वस्त श्री. संजय वाल्हेकरने बताया कि, ‘सुबह मंदिरका दरवाजा खोलनेपर यह बात ध्यानमें आई । वह मूर्तिभंजक मंदिरके बाडेसे कूदकर अंदर आया होगा और मंदिरका दरवाजा तोडकर उसने मंदिरमें प्रवेश किया । उसने मूर्तिपर पत्थरसे प्रहार किया । उसने मंदिरमें नैवेद्यका आम खाकर, उसकी गुठली वहीं डाल दी । मंदिरसे कुछ भी चोरी नहीं हुआ । इससे स्पष्ट है कि केवल मूर्तिभंजनके ही उद्देश्यसे यह कृत्य किया गया है ।’ (हिंदुओ, यह घटना इसी बातकी द्योतक है कि अब मूर्तिभंजनकी परंपरा गोवासे महाराष्ट्रमें भी पहुंच गई है । यह स्थिति बदलनेके लिए ऐसे मूर्तिभंजकोंको पकडकर दंड होनेतक सरकारके अनुवर्ती प्रयास लिए जाने चाहिए ! – संपादक) पुलिसने आश्वासन दिया है कि आठसे दस दिनोंमें इस प्रकरणका सुराग लगाएंगे । २५ जुलाईको संध्याकालमें मंदिरके परिसरमें निषेध सभा ली गई । इस अवसरपर शिवसेनाके श्री. योगेश मोकाटेने कहा, ‘आज मंदिर असुरक्षित हो गए हैं । पुलिसने इस प्रकरणका तत्काल अन्वेषण करना चाहिए ।’ पुलिस निरीक्षक पांडुरंग सोलनकर का कहना है कि, यह सब किसी सिरफिरेने किया होगा । आपकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं; धार्मिक भावनाओंको भडकने न दें तथा संयम रखें । (क्या पुलिसने इसी प्रकारके आवाहन अन्य पंथियोंसे किया होता ? अन्य पंथियोंके संदर्भमें यदि ऐसा हुआ होता, तब तो अबतक कानून तथा सुव्यवस्था संकटमें पड गई होती । इस कारण पुलिस केवल हिंदुओंको ही उपदेशोंकी घुट्टी पिलानेकी अपेक्षा मूर्तिभंजकोंको पकडकर कार्यवाही करके दिखाएं ! – संपादक) हम उस समाजकंटकको ढूंढ निकालेंगे । इस अवसरपर सर्वश्री रामभाऊ बराटे, दिलीपभाऊ बराटे, प्रदीप धुमाळ, बाबासाहेब धुमाळ, राजेंद्र बेंद्रे, हेमंत पारखे, मंदार खुरपे तथा परिसरके हिंदू उपस्थित थे ।
आज मोर्चा !
इस घटनाके निषेधार्थ शुक्रवार, २७ जलाईको सायंकाल ७ बजे दत्त मंदिरसे निषेध मोर्चाका आयोजन किया गया है । इस निषेध मोर्चेमें अधिकाधिक हिंदुओंको उपस्थित रहनेका आवाहन किया गया है ।
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात