लखनऊ – प्राचीन काल से ही भारत में भगवान शिव के पूजन की परंपरा है। शिवजी के विभिन्न मंदिरों के साथ देश की कई ऐतिहासिक घटनाएं जुड़ी हुई हैं। इनमें कई मंदिर रामायण एवं महाभारत काल के भी हैं। इन मंदिरों में दर्शन-पूजन के समय श्रद्धालु प्राचीन इतिहास की भी चर्चा करते हैं।
ऐसा ही एक प्राचीन मंदिर उत्तरप्रदेश के संत कबीर नगर जिले के खलीलाबाद में स्थित है। यहां भगवान शिव बाबा तामेश्वरनाथ के नाम से विराजमान हैं। मंदिर के निर्माण से जुड़ी कथा बहुत रोचक है। कहते हैं जब दुर्योधन ने लाक्षागृह का निर्माण कराया और पांडवों को भस्म करने का षड्यंत्र रचा तो वे विदुर द्वारा भेजी गई सहायता से सुरक्षित निकल आए।
उसी समय पांडव वेश बदलकर घूमने लगे। एक दिन वे इस क्षेत्र में आए और यहां उन्होंने विश्राम किया। चूंकि देवी कुंती शिवजी की भक्त थीं। इसलिए उन्होंने यहां प्राकृतिक रूप से बने शिवलिंग की पूजा की और अपने पुत्रों की सुरक्षा की कामना की।
महादेव ने कुुंती की इच्छा पूर्ण की। इसके बाद यहां भगवान की पूजा में अन्य श्रद्धालु भी शामिल होने लगे। मंदिर के इतिहास के जानकार बताते हैं कि यहां के शासक खलीलुर्रहमान ने शिवलिंग को हटाने का बहुत प्रयास किया किंतु वह अपनी योजना में सफल नहीं हो सका।
मंदिर का नाम तामेश्वर इसलिए हुआ क्योंकि प्राचीन काल में इस स्थान का नाम ताम्रगढ था। जब औरंगजेब के अत्याचार जोरों पर थे, तब कई श्रद्धालु नेपाल चले गए और अनेक लोगों ने मंदिर में शरण ली। महादेव की भक्ति ने ही उनकी रक्षा की थी। मंदिर में भजन-पूजन की परंपरा आज भी जारी है।
स्त्रोत : राजस्थान पत्रिका