भाद्रपद कृष्ण पक्ष द्वादशी, कलियुग वर्ष ५११६
इराक में चरमपंथी संगठन आईएस के कारण अल्पसंख्यक यज़ीदी समुदाय के लोगों में दहशत हैं।
देश के उत्तरी हिस्से में हज़ारों यज़ीदी लोगों ने अपने घरों को छोड़ कर सिंजर की पहाड़ियों में शरण ली। लेकिन वहां भी ज़िंदगी उनके लिए आसान नहीं थी।
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सिंजर की पहाड़ियों में बिना पानी और खाने के कई दिनों तक जीवित रहने के बाद इन शरणार्थियों को कुर्द बल देरेक सिटी में बने एक शिविर में ले गए। ये कैंप उत्तरी सीरिया में कुर्दों के नियंत्रण वाले इलाक़े में है।
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६५ वर्षीय शरणार्थी खिदीर शामो कहते हैं, "आईएस के लड़ाकों ने सैकड़ों लोगों की हत्या की और उनके सिर कलम कर दिए। सैकड़ों महिलाओं को वो अपने साथ ले गए। हम मर रहे हैं- यज़ीदी समुदाय ने जनसंहार देखा है।"
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कुर्द बलों को पहाड़ियों में ये दो बहनें और उनका परिवार भी मिला। इनमें एक बहन ट्रक से कूद गई क्योंकि वो बहुत प्यासी थीं और पानी के लिए तड़प रही थीं। इससे उनके टखने में मोच भी आ गई।
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एक बहन ने कहा, "मेरा सारा परिवार पहाड़ियों में १२ किलोमीटर तक पैदल चला। मेरे बच्चों को पानी नहीं मिला पाया और उन्हें डायरिया हो गया। हमने अपने बहुत सारे संबंधी खो दिए हैं।" दूसरी तरफ ६५ साल के फरमान जेंदी कहते हैं, "ये एक धर्मयुद्ध है। ये कोई राजनीतिक या आर्थिक युद्ध नहीं है।"
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सिंजर की १८ वर्षीय अमीना कालो कहती हैं, "हम कभी इस्लाम को नहीं अपनाएंगे जैसा कि आईएस चाहता है। इसकी बजाय हम मरना पसंद करेंगे।"
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इन शरणार्थियों को सिंजर की पहाड़ियों से एक सुरक्षित रास्ते से शिविर में पहुंचाया गया। सिर्फ़ बड़े ट्रक ही पहाड़ी इलाक़ों से उबड़ खाबड़ रास्तों से गुज़र सकते हैं।
स्त्रोत : बीबीसी हिंदी