भाद्रपद कृष्ण पक्ष त्रयोदशी, कलियुग वर्ष ५११६
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गोवंश हत्याको प्रोत्साहन देनेवाले कांग्रेसी राजनेताओंको आगामी चुनावमें सत्ताच्युत करें !
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क्या इसके विरोधमें प्राणीप्रेमी संगठन एवं बलवान हिन्दुनिष्ठ संगठन कुछ कृत्य करेंगे ?
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मुंबई : महाराष्ट्र सरकारके पशुसंवर्धन विभागद्वारा ६ से ८ अक्टूबरकी कालावधिमें मनाई जानेवाली बकरी ईदके निमित्तसे धर्मांधोंको बैलोंकी हत्या करना संभव होने हेतु परिपत्र निकाला गया है । (पशुसंवर्धन विभाग पशुहत्याका आदेश देता है, इसे क्या कहें ? ऐसे विभागका नाम परिवर्तित कर पशुहत्या विभाग ऐसा क्यों न किया जाए ? पशुओंका संवर्धन करनेके स्थानपर उनकी हत्याको अनुमति देनेवाला इस प्रकारका विभाग बंद करना चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) इसमें देवनार पशुवधगृहको सदैवकी संख्याकी अपेक्षा १२ सहस्र अतिरिक्त बैलोंको काटनेकी अनुमति देनेके लिए कहा गया है । (इससे यदि ऐसा कहा जाए कि वर्तमान समयके राजनेता गोवंश समाप्त करनेपर पडे हुए हैं, तो उसमें क्या चूक है ? इससे यही सिद्ध होता है कि धर्मांधोंके मतोंके लिए उनकी निरंतर चापलूसी करनेवाले वैचारिक सुन्न हुए राजनेताओंके राज्यमें हिन्दू कभी सुखसे नहीं रह सकते । इसलिए ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करना अनिवार्य है । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) ३१ जुलाईको अवर सचिव प्रा.प्र. वसईकरने परिपत्र निकाला है । (५ अक्तूबरको बकरी ईद है । तब भी उसके लिए परिपत्र ३१ जुलाईको निकाला जाता है । इससे ध्यानमें आता है कि सरकार धर्मांधोंके त्यौहारोंका कितना ध्यान रखती है । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
इस परिपत्रमें कहा गया है कि,
१. मुंबई अत्यावश्यक विक्रय एवं जानवर अधिनियम १९५८ द्वारा प्रदत्त अधिकार एवं महाराष्ट्र शासनको दिए अधिकारोंका उपयोग कर बकरी ईदके निमित्त कुर्बानीके लिए १२ सहस्र शृंगी (बीमार अथवा बूढे) बैलोंका अतिरिक्त कोटा देवनार पशुवधगृहको इस शासन निर्णयद्वारा सम्मत किया जाता है । (यह कानून है कि बीमार अथवा बूढे अथवा खेतीके लिए अनुपयुक्त पशुओंकी हत्या कर सकते हैं, बकरी ईदके लिए एकाएक १२ सहस्र बैल बीमार अथवा बूढे कैसे हो गए ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
२. कथित कोटा सप्ताहमें दिए गए कोटेके अतिरिक्त है ।
३. उपर्युक्त अतिरिक्त कोटेके लिए जानवरोंको जांच प्रमाणपत्र देते समय उसपर बकरी ईदके त्यौहारके निमित्त हत्याके लिए दिया जा रहा है, ऐसा प्रविष्ट करें । (इस प्रकारसे दीपावली त्यौहारके अवसरपर खानेयोग्य अथवा अन्य वस्तुएं उपलब्ध करते समय सरकार ध्यान क्यों नहीं रखती ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात