जेएनयू में ‘अफजल की घोषणा’ का प्रकरण
उमर खालिद के ‘देशद्रोह’ के संदर्भ में कार्रवाई होनी ही चाहिए ! – हिन्दु जनजागृति समिति की मांग
मुंबई : मुसलमान होने के नाते सहानुभूती अर्जित कर अपने देशद्रोही कृत्योंपर धार्मिक भेदभाव का बुरखा चढानेवाले उमर खलिद को उसके अन्य सहयोगियोंसमेत त्वरित बंदी बनाकर उनपर कठोर कार्रवाई करें, ऐसी मांग हिन्दु जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने एक प्रसिद्धी पत्रकद्वारा की है !
प्रसिद्धी पत्रक में कहा है कि, ….
१० दिन फरार रहे देशद्रोही उमर खलिदने जेएनयू (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्द्यालय) वापस लौटनेपर ‘‘यदि कोई आदिवासी हो तो उसे ‘नक्सली’अथवा मुसलमान हो तो उस पर ‘आतंकवादी’ होने का सिक्का मारकर उसे अकेला किया जाता है, ऐसा विखारी भाषण दिया। केवल इतना ही नहीं, तो जेएनयू के देशद्रोह के प्रकरण को धार्मिक भेदभाव का रंग देने का हेतुपूर्वक प्रयास किया। यदि उसके मुसलमान होने के कारण ही उसपर कार्यवाही करनी होती, तो पुलिस ने कन्हैय्या कुमार को क्यों बंदी बनाया ? देशद्रोह का अपराध प्रविष्ट किए हुए ५ फरार अपराधियों में से उमर खलिद को छोडकर आशुतोष, अनंतप्रकाश नारायण, राम नागा एवं अनिर्बन भट्टाचार्य इन हिन्दूओंका समावेश क्यों है ? उमर खालिद को वह ‘मुसलमान’ है, यह अभी बताने की नौबत क्यों आयी ?
उसने ‘पाकिस्तान झिंदाबाद’, ‘भारत की बरबादी तक जंग रहेगी’ आदि देशविरोधी घोषणाएं क्यों दी तथा जब उसने आतंकी अफझल का स्मृतिदिवस मनाया, तब उसे अपने मुसलमान होने का ज्ञात नहीं था क्या ? जेएनयू में देशद्रोह कर देश के वातावरण को दूषित किया तथा अब वह देश का धार्मिक वातावरण दूषित करने का प्रयास कर रहा है। इस प्रकार के वैचारिक आतंकवाद को फैलानेवाला देशद्रोही, चाहे वह मुसलमान हो अथवा हिन्दु, उसपर कठोर कार्रवाई होनी ही चाहिए, ऐसी मांग हिन्दु जनजागृति समिति ने की है !
मानवता एवं लोगों के विषय में मेरे मन में होनेवाले प्रेम को किसी भी देश का बंधन नहीं है, ऐसा ही खालिदने कहा। उसके प्रेम को यदि किसी देश की सीमा का बंधन ना हो, तो ‘पाकिस्तान झिंदाबाद’ कहनेवाले को बड़े आराम से पाकिस्तान जाना चाहिए। भारत में इस प्रकार की घोषणाएं कदापि सहन नहीं की जाएगी। आतंकवाद विरोधी कानून के अनुसार आतंकियोंका मानसिक दृष्टी से समर्थन करनेवाले मुंबई आयआयटी के ४० प्राध्यापक एवं बंगाल के जादवपूर विश्वविद्द्यालय के विद्यार्थी तथा प्राध्यापक, साथ ही काँग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी, माकप के सांसद सीताराम येचुरी, डी. राजा, प्रकाश आंबेडकर आदि नेताओंपर भी देशद्रोह के अपराध के अंतर्गत कार्रवाई की जानी चाहिए, ऐसी मांग भी समिति ने की है !
जेएनयू के भूतपूर्व प्राध्यापक गिलानी को बंदी बनाया जानेपर, प्रा. साईबाबा को बंदी बनाए जानेपर या फिर दंतेवाडा में ७६ सैनिकोंके मारे जानेपर डीएसयू एवं एआयएस्ए इन संगठनोंद्वारा जेएनयू में मनाया गया हर्ष जैसी तथा ऐसी अनेक घटनाओंसे जेएनयू में देशविरोधी कार्रवाईयोंको प्रोत्साहन दिया जाता है, यह स्पष्ट होता है। पूरे देश में देशद्रोह का यह फैलते जानेवाले विष को यदि समयपर ही नहीं रोका गया, तो देश में ‘आपातकालीन’ स्थिती उत्पन्न होगी।
एक ओर इसिस का (आय.एस्.आय.एस्) से खतरा बढ रहा है, तो ऐसे समय में देशविरोधी कार्रवाईयोंके विषय में सौम्य भूमिका अपनाना देशविघातक होगा !
देश में यदि वास्तव में शांति चाहिए, तो ऐसे देशद्रोही विषैले विषवृक्षोंको समय पर ही उखाडकर फेंकना होगा, ऐसा हिन्दु जनजागृति समिति ने कहा है !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात