हिन्दू संस्कृती की महानता !
अलीगढ – पश्चिमी वैज्ञानिकों ने मात्र ढाई सौ साल पहले डेंगू एवं मलेरिया की खोज की थी। किंतु भारत में प्राचीन काल में ही संतों ने बिना किसी प्रयोगशाला व अन्य आधुनिक तकनीक की सहायता लिए बुखार के कारण एवं उपचार का निर्धारण कर लिया था।
इसका उल्लेख अथर्व वेद में उपलब्ध है। यह खुलासा एएमयू संस्कृत विभाग के शोध छात्र तहसीन मोंडल ने अपने शोध पत्र में किया है। इसके लिए उन्हें दिल्ली संस्कृत अकादमी में ‘वाइडर एसोसिएशन फॉर वैदिक स्टडीज’ की १९ वीं इंडिया कांफ्रेंस में उन्हें स्व. श्रीमती धन्नो देवी मेमोरियल पुरस्कार २०१५ फॉर यंग स्कालर्स से सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में अथर्ववेद उपचारों का सफल विकल्प है।
मोंडल का कहना है कि, वेदों में कुछ प्रकार के बुखारों का वर्णन है जिनमें कुछ डेंगू से समानता रखते हैं। उनका यह भी कहना है कि चिकित्सा विज्ञान से जुडे लोगों को इस क्षेत्र में और अधिक शोध कार्य किए जाने की आवश्यकता है।
स्त्रोत : अमर उजाला