मंदिर सरकारीकरण के दुष्परिणाम !
श्री महालक्ष्मी मंदिर में प्रसाद बनाने का काम महिला कैदियोंको देने का प्रस्ताव
मुंबई : ‘खाने के लिए बनाया जाए वह सिरा/शिरा एवं भाव के लिए बनाया जाए वह प्रसाद’, ऐसा एक वाक्य प्रसिद्ध है !
कारागृह का वातावरण स्वास्थ्य की दृष्टि से अस्वच्छ तथा आध्यात्मिक दृष्टि से ‘तम’ प्रधान होता है। इसलिए पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति के अध्यक्ष तथा जिलाधिकारी डॉ. अमित सैनी ने कारागृह की महिला कैदियोंसे प्रसाद के लड्डू बनवाने का जो निर्णय लिया है वह सर्वथा अनुचित है !
इसे कोई व्यावसायिक ठेका न मानते हुए देवी के लिए सात्त्विक प्रसाद बनाने की सेवा भावयुक्त भक्तोंको ही देनी चाहिए, हिन्दू जनजागृति समिति ने ऐसी मांग की है !
हिन्दू जनजागृति समिति के राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने एक प्रसिद्धिपत्रकद्वारा सूचित किया है कि, कोल्हापुर के हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनोंने भी इसका विरोध किया है एवं इस संदर्भ में शीघ्र ही संगठित होकर जिलाधिकारी से भेंट कर विचार-विमर्श करेंगे !
इस पत्रक में आगे कहा गया है कि …..
ईश्वर का प्रसाद ग्रहण करने से चैतन्य मिलता है एवं भक्तोंका वैसा ही भाव होता है। धर्मशास्त्रानुसार कोई भी प्रसाद बनाते समय शुचिर्भूतता के सभी नियमोंका पालन आवश्यक होता है। शुचिर्भूतता के नियमों में स्नान, शाकाहार एवं मासिक धर्म का पालन आदि बातें अंतर्भूत होती हैं।
कारागृह की महिला कैदियोंसे इन नियमोंका पालन होगा, इस बात का दायित्व कौन लेगा ? उसी प्रकार कारागृह के कैदियों में अन्य धर्मीय कैदि भी होने के कारण देवता के प्रति उनका भाव रहेगा ही, ऐसा मान कर चलना अनुचित है। कळंबा कारागृह में गांजासमान मादक (नशीली) वस्तुएं पाई जाती हैं। उसी प्रकार अनेक बार वहां की अनुचित घटनाएं सार्वजनिक भी हुई हैं, जिससे इस कारागृह की भयानकता स्पष्ट होती है !
इसलिए श्री महालक्ष्मी समान जागृत देवी का पवित्र प्रसाद कैदियोंसे बनवाना अध्यात्म एवं स्वास्थ्य दोनों ही दृष्टि से अनुचित है !
निश्चित ही कारागृह की महिलाएं देवी की भक्ति कर सकती हैं, क्योंकि उपासना के लिए भक्तिमार्ग में कोई बंधन नहीं होता; परंतु प्रसाद षोडशोपचार पूजा का एक भाग होने से ‘कर्मकांड’ का एक भाग है। यदि कर्मकांड के नियमोंका पालन किया गया, तो ही भक्तोंको उसका लाभ होता है !
अतः मंदिर समितिद्वारा श्री महालक्ष्मी मंदिर के लिए प्रसाद बनाने की सेवा कारागृह की महिला कैदियोंको न दी जाए। उसे सत्त्वगुणी भक्तोंद्वारा सेवा के रूप में बनवाएं। कोल्हापुर में श्री महालक्ष्मीदेवी पर श्रद्धा रखनेवाले एवं शुचिर्भूतता के सभी नियमोंका पालन कर प्रसाद बनाने की सेवा करनेवाले अनेक महिला बचत गुट कार्यरत हैं। मंदिर व्यवस्थापन को उनका भी विचार करना चाहिए, हिन्दू जनजागृति समिति ने ऐसा सुझाव दिया है !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात