मुसलमानबहुल राष्ट्र की मानसिकता !
कुआलालंपुर : मलेशिया में गुप्त तरीके से सात हजार हिंदुओं की धार्मिक पहचान बदलने का प्रकरण सामने आया है। राष्ट्रीय पहचान पत्र में इन लोगों को मुसलमान बताया गया है। शरई न्यायालय की अनुमति के बिना पीड़ित अपनी धार्मिक पहचान को सही नहीं करवा सकते हैं। मलेशिया हिंदू संगम के अध्यक्ष मोहन शान ने समाचारपत्र मलेशियन इनसाइडर को यह समाचार दिया है।
समाचारपत्र के अनुसार पुरे देश से इस तरह के मामले सामने आए हैं। ज्यादातर पीड़ित निम्न आय वर्ग से हैं। कुछ की पहचान सरकारी अधिकारियों की गलती से बदली है। वहीं, कइयों की गलत पहचान उनके माता-पिता ने ही जानबूझकर दर्ज कराई है। ऐसे बच्चों के माता-पिता में से एक पहले ही इस्लाम कुबूल कर चुके हैं। आठ गैर सरकारी हिंदू संगठनों ने इसकी पडताल के लिए एक संयुक्त जांच दल बनाया था। जांच दल ऐसे पांच सौ मामलों की पडताल कर चुकी है। इसके अनुसार पुरे देश में इस लापरवाही के करीब सात हजार हिंदू शिकार हुए हैं।
मामला सामने आने के बाद मुस्लिम वकीलों के संगठनों ने कहा है कि, यदि कोई हिंदु इस गलती को दुरुस्त करवाना चाहता है तो वे उनकी मदद को तैयार हैं। मलेशिया में हिंदु बच्चों के पालन-पोषण का अधिकार प्राप्त करने के लिए इस तरह की गडबडी के पहले भी कर्इ मामले सामने आ चुके हैं। पिछले सप्ताह एक रेस्तरां की मालकिन एस दीपा को संघीय न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद अपने दो बच्चों में से एक के पालन-पोषण का अधिकार मिल पाया था। उनके पति ने शादी के बाद इस्लाम कुबूल कर लिया और तलाक के बाद दोनों बच्चों के पालन का अधिकार शरई न्यायालय से हासिल कर लिया। बाद में संघीय न्यायालय ने इसे शरई न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला बताते हुए दीपा को राहत दी थी।
इसी तरह २००९ में शिक्षिका एम इंदिरा गांधी के पति ने शादी के बाद इस्लाम कुबूल कर लिया। तलाक के बाद उसने इंदिरा की जानकारी के बिना तीन नाबालिग बच्चों का इस्लाम में धर्म परिवर्तित करवा दिया। बाद में इसी आधार पर उसने शरई न्यायालय से तीनों बच्चों के पालन-पोषण का अधिकार भी प्राप्त कर लिया। गौरतलब है कि मुस्लिम बहुल मलेशिया में मात्र ६.३ प्रतिशत ही हिंदू हैं।
स्त्रोत : जागरण