संभाजीनगर में राष्ट्रहित जनाधार विश्वस्त मंडलद्वारा ‘जनुभाऊ रानडे (हिन्दू सभा) – स्मृति दिन’ संपन्न !
संभाजीनगर (महाराष्ट्र) : जब तक भारत एक ‘हिन्दू राष्ट्र’ के रूप में खड़ा नहीं रहेगा एवं पुरे भारत वर्ष में ‘भगवा ध्वज’ नहीं लहरायेगा, तब तक भारत में ‘अहिन्दू’ सुखी नहीं होंगे !
भारत में तत्कालीन केवल १० प्रतिशत ‘अहिन्दुओं’को प्रसन्न करने हेतु ही ‘संस्कृत भाषा’, ‘भारतीय दिनर्दिशका’ एवं ‘वन्दे मातरम्’ को दुर्लक्षित किया गया ! इसलिए अब तक झूठा इतिहास पढाया गया।
वर्तमान स्थिति में सभी हिन्दू एकत्र आए बिना हिन्दुओंके लिए जीवन निर्वाह करना असंभव है, अभिनेता श्री. शरद पोंक्षे ने ऐसा स्पष्ट रूप से प्रतिपादित किया। वे यहां, हिन्दू सभा के जनुभाऊ रानडे स्मृति प्रित्यर्थ, राष्ट्रहित जनाधार विश्वस्त मंडलद्वारा आयोजित व्याख्यान में ‘राष्ट्रगीत’ इस विषय पर बोल रहे थे।
इस अवसर पर विहिंप के प्रांताध्यक्ष श्री. संजय बारगणे, मंडल के अध्यक्ष श्री. शिवाजी शेरकर आदि समेत अन्य मान्यवर भी उपस्थित थे।
श्री. पोंक्षे ने आगे कहा कि, बंकिमचंद्र चटर्जी (चट्टोपाध्याय) द्वारा लिखित ‘वन्दे मातरम’ यही राष्ट्रगीत होनेवाला था ! परन्तु, पं. नेहरू को ये रांस नहीं आया !
लंदन में आयोजित ब्रिटिश नियंत्रित विविध देशोंकी परिषद में नेहरू भाषण करने उठे, तो उस समय ‘जन गण मन’ गीत गाया गया। वहां से भारत लौटने पर उसी गीत को ‘राष्ट्रगीत’ के रूप में घोषित किया गया। अहिन्दू रुष्ठ होंगे; इसलिए नेहरूजी ने ही ‘वन्दे मातरम’ को ‘राष्ट्रगीत’ का मान नहीं दिया !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात