आराजकता के इस काल में ‘गांधीवाद’ को फेंक देना, महत्त्वपूर्ण ! सभी राजनीतिक दलोंद्वारा अल्पसंख्यकोंका तुष्टीकरण होने के कारण एक ‘प्रखर हिन्दुत्ववादी राजनीतिक दल’ की आवश्यकता ! – श्री. अनुप सरदेसाई
मडगाव (गोवा) : ‘हिन्दुत्व’ से संबंधित समस्याओंके संदर्भ में लडने के लिए गोवा में ‘अखिल भारत हिन्दु महासभा दल’ सक्रिय होनेवाला है !
स्वातंत्र्यवीर सावरकर के ५० वे स्मृतिदिन के अवसर पर इस दल की एक शाखा का गोवा में प्रारंभ करने की घोषणा इस दल के गोवा प्रदेशाध्यक्ष एवं हिन्दुत्वनिष्ठ लेखक श्री. अनुप सरदेसाई ने की।
इस समय दल के कार्यकारी अधयक्ष श्री. सिद्धार्थ याजी, साथ ही सनातन संस्था के प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस एवं हिन्दु जनजागृति समिति के गोवा राज्य समन्वयक डॉ. मनोज सोलंकी उपस्थित थे।
इस घोषणा के पश्चात श्री. अनुप सरदेसाई ने कहा कि, ‘हिन्द महासभा’ यह भारत का सब से पुराना राजनीतिक दल है। लाला लजपत राय एवं मदनमोहन मालवीय इन्होंने वर्ष १९१५ में इस दल की स्थापना की है। स्वातंत्र्यवीर सावरकर के, वर्ष १९३७ में इस राजनीतिक दल में प्रवेश करने से इस राजनीतिक दल को एक अलग ऊंचाई प्राप्त हुई। गांधी हत्या के उपरांत काँग्रेसद्वारा हिन्दूओंको ‘लक्ष्य’ किए जाने से उसका कार्य रूक गया।
अब २१ वी सदी में इस दल का कार्य बढ रहा है, साथ ही दल को मिलनेवाली मतोंकी संख्या में भी वृद्धि हो रही है। बिहार में हुए विधानसभा चुनावों में यह स्पष्ट हुआ है।
आराजकता के इस काल में ‘गांधीवाद’ को फेंक देना, महत्त्वपूर्ण है !
श्री. अनुप सरदेसाई ने कहा,
१. गोरक्षा, धर्मांतरण विरोधी कानून, अयोध्या का श्रीराम मंदिर, शरिया कानून का निर्मूलन आदि मुद्दोंपर भाजपा ने हिन्दुओंका विश्वासघात किया है; इसलिए हिन्दु महासभा ने सक्रिय होने का निर्धार किया।
२. गोवा में काँग्रेस के कार्यकाल में सनातन संस्था, श्रीराम सेना आदी संगठनोंसे किया जानेवाला अयोग्य व्यवहार भाजपा के सत्ताकाल में भी अव्याहत शुरू ही है। हिन्दू देवी-देवताओंकी अवमानना की ओर भाजपा ने दुर्लक्ष ही किया है !
३. हिन्दू महासभा, गांधी की ‘अहिंसा एवं सत्याग्रह’ इस झूठी एवं ढोंगी नीति की अपेक्षा, ‘नीति एवं अनुशासन’ इन तत्त्वोंका हमेशा पुरस्कार करती आर्इ है !
अखिल भारत हिन्दू महासभाद्वारा आनेवाले समय में किए जानेवाले आंदोलन . . .
१. भारतीय चलन पर स्थित ‘गांधी’ की प्रतिमा को हटाकर उस स्थानपर ‘अशोक स्तंभ’ की प्रतिमा स्थापित करने की मांग करना।
२. धर्मांतर विरोधी कानून की मांग करना।
३. सभी शिक्षा संस्थानोंको शासन के नियंत्रण में लाने के लिए प्रयास करना।
४. भारतीय भाषाओंको प्रोत्साहन मिले, इसके लिए आंदोलन चलाना।
५. गोमांस की बिक्रीपर प्रतिबंध, साथ ही गोमांस एवं गाय के अन्य अवशेषोंका उपयोग कर बनाए जानेवाले सभी पदार्थोंपर प्रतिबंध लगाना ।
६. मुसलमानोंद्वारा हलाल पद्धति से की जानेवाली पशुहत्याओंपर प्रतिबंध डालना।
७. एन्.डी.टी.व्ही., ए.बी.पी., इंडिया टुडे जैसे अराष्ट्रीय प्रसारमाध्यमोंके विरोध में आंदोलन चलाना।
८. ‘राष्ट्रविरोधी एवं धर्मविरोधी’ फ़िल्में एवं कलाकारोंका बहिष्कार करना।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात