भाद्रपद शुक्ल पक्ष तृतीया, कलियुग वर्ष ५११६
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लोगो, भक्तोंके अधिकारमें रहनेवाले मंदिरोंका केवल स्वार्थ हेतु उपयोग करनेवाले राजनेताओंको हटानेके लिए सिद्ध रहें !
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हिन्दुओ, भ्रष्ट राजनेताओंके चंगुलसे मंदिरको भक्तोंके अधिकारमें लेनेके लिए हिन्दू राष्ट्र ही चाहिए !
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पंढरपुर (महाराष्ट्र) – यहांके श्री विठ्ठल-रुक्मिणी देवस्थान समितिके माध्यमसे शासनने इन मंदिरोंका सरकारीकरण किया है; किंतु राजनेताओंकी क्षुधा(भूख) बढ गई है । इस विठ्ठल मंदिरके परिसरमें स्थित देवताओंके २८ मंदिर बलपूर्वक अधिकारमें लेनेके लिए मंदिर समिति आगे बढ चुकी है तथा इसके लिए मंदिरके पुनर्निर्माणकार्यका बहाना बनाया गया है । (इस प्रकार कोई छोटासा कारण बताकर मंदिर समितिद्वारा मंदिरको अधिकारमें लेना, यह श्रद्धालुओंके साथ प्रतारणा है । यदि वास्तवमें मंदिरोंका पुनर्निर्माणकार्य करना था, तो आजतक मंदिर समितिको किसने रोका था ? मंदिरोंको अधिकारमें लेनेकी अपेक्षा समिति पुनर्निर्माणकार्य हेतु सहायता भी कर सकती है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
१. जनवरी २०१४ में गत वर्षसे प्रलंबित रहनेवाला राज्यशासनके विरुद्ध बडवे-उत्पातोंके परिवादका निर्णय हुआ; अतः मंदिर समितिने मंदिरके पुजारियोंको निकालकर महिला पुजारीके साथ अन्य जमातिके पुजारियोंकी नियुक्ति की है ।
२. अभीतक विठ्ठल मंदिरके बाहरके अन्य मंदिर बलपूर्वक अपने अधिकारमें नहीं लिए गए थे ।
३. इन मंदिरोंका पुनर्निर्माणकार्य करना चाहिए, नियमित पूजाअर्चा होनी चाहिए, इस बहानेके आधारपर शासनने छोटे-छोटे इन २८ मंदिरोंको बलपूर्वक अधिकारमें लेनेका निश्चय किया है ।
४. २१ अगस्तको संपन्न हुई मंदिर समितिकी बैठकमें यह निर्णय सम्मत किया गया है ।
५. इस बैठकमें यह अनुमान किया गया कि मूलतः इन मंदिरोंमें श्रद्धालुओंका आना-जाना अल्प संख्यामें है; किंतु उसका विकास करनेके पश्चात श्रद्धालुओंकी संख्यामें वृद्धि होगी ।
६. श्रद्धालुओंमें यह चर्चा आरंभ है कि वास्तवमें यदि ऐसी स्थिति है, तो यह इन मंदिरोंके बडवोंको बाहर निकालने हेतु रचा गया एक षडयंत्र है । इन छोटे मंदिरोंकी निधिपर भी मंदिर समितिके लोगोंकी दृष्टि है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात