ऊखीमठ : शीतकालीन गद्दीस्थल के नाम से विख्यात ओंकारेश्वर मंदिर परिसर सरकार व मंदिर समिति की उपेक्षा से जर्जर हो रहा है । शीतकालीन गद्दीस्थल के भवन की दीवारें क्षतिग्रस्त होकर तिरछी हो गई हैं । मंदिर परिसर में स्थित अन्य छोटे-छोटे मंदिर भी जीर्णशीर्ण बने हुए हैं ।
वर्षभर यात्रा संचालन के लिए वर्ष २०१४ में सरकार ने शीतकाल में बाबा केदारनाथ व मद्महेश्वर के दर्शन ओंकारेश्वर मंदिर में करवाने का निर्णय लिया गया था । इसके बाद मंदिर के सुंदरीकरण और मरम्मत के लिए कोई कदम नहीं उठाया । मंदिर परिसर में स्थित पंचकेदार गद्दीस्थल, ऊषा-अनिरुद्ध विवाह स्थल, चंडिका मंदिर की दीवारें भी क्षतिग्रस्त होकर तिरछी हो गई हैं । इसके साथ ही मंदिर परिसर में स्थित मद्महेश्वर सभा मंडप, वाराही मंदिर, भैरवनाथ मंदिर, पंच केदार लिंग स्थल, एवं भोग मंडी की स्थिति भी जर्जर बनी हुई है । वहीं ओंकारेश्वर मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार भी दस वर्षों से अधूरा है ।
पूर्व प्रमुख लक्ष्मी प्रसाद भट्ट का कहना है कि, सरकार व समिति की उपेक्षा से मंदिर व मंदिर परिसर की स्थिति दयनीय हो गई है । वहीं पूर्व विधायक आशा नौटियाल ने कहा कि, सरकार का पूरा ध्यान केदारनाथ मंदिर पर केंद्रित है । अन्य मठ-मंदिरों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है ।
बीकेटीसी के कार्याधिकारी अनिल शर्मा ने बताया कि, ओंकारेश्वर मंदिर व परिसर की संरक्षण के लिए प्रस्ताव शासन व दानदाताओं को दिया गया है । संभवत: अप्रैल से इसका सुधार शुरू हो जाएगा ।
संदर्भ : अमर उजाला