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शिमला : हिमाचल प्रदेश की करसोगा घाटी में स्थित ममेल नामक गांव में भगवान शिव का मंदिर है । यह मंदिर ५००० वर्ष से भी ज्यादा प्राचीन है । यह मंदिर अपने अनूठे इतिहास के कारण जाना जाता है । यहां रखी कुछ वस्तुएं अपनी प्राचीनता के साथ ही विविध विशेषताओं के कारण भी प्रसिद्ध हैं ।
यहां भोलेनाथ ममलेश्वर महादेव के नाम से विराजमान हैं । कहा जाता है कि, पांडव भी एक बार यहां आए थे और उन्होंने काफी समय इस स्थान पर व्यतीत किया था ।
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मंदिर में गेहूं का एक खास दाना रखा है । इसकी सुंदरता है कि, यह आकार में बहुत बडा है । इसका वजन करीब २०० ग्राम है । इतना बडा गेहूं का दाना सामान्यत: नहीं मिलता ।
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मंदिर में एक प्राचीन धूना है । इससे जुडी पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह महाभारत काल से ही निरंतर जल रहा है । यहां भीम ने एक राक्षस का वध किया था और लोग उसके भय से मुक्त हुए । यह धूना भीम के उस प्रताप के स्मरण में ही आज तक जल रहा है ।
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यहां एक प्राचीन ढोल रखा है । लोगों का मानना है कि, यह ढोल भीम बजाया करता था ।
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मंदिर में पांच दिव्य शिवलिंग हैं । पांडव जब यहां आए थे तो उन्होंने भगवान शिवजी से आशीर्वाद के लिए इन्हीं शिवलिंगों की पूजा की थी । भगवान के आशीर्वाद से ही उन्हें युद्ध में विजय का वरदान मिला था ।
संदर्भ : राजस्थान पत्रिका