‘योग’ हिन्दू धर्म की एक ‘देन’ !
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‘हिन्दू धर्म की देन’वाले इस भारत में योग के प्रति इतना दुर्लक्ष क्यों ?
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छात्रोंको योग की शिक्षा देनेवाले सातसमुद्र के पार स्थित विद्यालय से क्या भारतीय कुछ ‘सीख’ लेंगे ?
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हिन्दुओ, भविष्य में हमें पाश्चात्त्योंसे हिन्दू धर्म के विविध शास्त्रोंका अभ्यास सीखना पडे, क्या इस प्रकार से हमें कलंकित होना है ?
अर्थात, हिन्दुओंको ऐसा बताना पडे, यही लज्जाजनक है !
टोरांटो (कैनडा) : कक्षा १२ वीं के छात्रोंको यहां के ब्रिटिश कोलंबिया राज्य के सेन्ट्रल ओकानागान विद्यालय में योग की शिक्षा देना आरंभ किया गया है !
इस कक्षा को ‘योग एवं अच्छा आरोग्य १२’ नाम दिया गया है एवं इस विषय में कुल मिला कर १२० घंटे शिक्षा दी जाएगी।
इस शिक्षावर्ग में योग के तत्त्व एवं अभ्यास, प्राणायाम, ध्यानधारणा, योगसूत्र, संस्कृत परिभाषा, ध्यानधारणा का आध्यात्मिक लाभ, मंत्र पठन, योग सूत्रोंका पठन तथा आयुर्वेद आदि विषयोंकी शिक्षा दी जाएगी। इस अभ्यासक्रम में स्वयं-शोध एवं स्वयं को प्रतिबिंबित करने के मार्ग भी सम्मिलित हैं ! (छात्रोंको उनके अभ्यास के साथ ‘योग’ जोडने का उपक्रम अत्यंत प्रशंसनीय है ! इसके लिए सेन्ट्रल ओकानागन विद्यालय का अभिनंदन ! इस उदाहरण से तो; केंद्रशासन, भारतभर के विद्यालय-महाविद्यालयों में तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावादी एवं हिन्दूद्वेषीयोंके विरोध को ‘कुढ़ा-दान’ (कचरे का डिब्बा) दिखा कर छात्रोंको सहायता एवं उनके जीवन में आमूल परिवर्तन कर सक्षम योग की शिक्षा अनिवार्य करें, ऐसी अपेक्षा है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात