७ मार्च को ‘महाशिवरात्री’ एवं ८ मार्च को ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ पर भूमता ब्रिगेड की, ‘प्रसिद्धी’ की लालची १५० महिलाएं नासिक के श्री क्षेत्र त्र्यंबकेश्वर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करनेवाली हैं !
नासिक (महाराष्ट्र) : केवल लोकप्रियता के स्टंट के लिए शनिशिंगणापुर के श्री शनिदेव के चबूतरे पर चढ़ने का हठ करनेवाली भूमाता ब्रिगेड की महिलाओंको जिस प्रकार से रोका गया, उसी प्रकार ७ मार्च को महाशिवरात्रि के विशेष पर्व के दिन हिन्दुओंकी धार्मिक प्रथा-परंपराओंको तोडने के उद्देश्य से श्री क्षेत्र त्र्यंबकेश्वर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने की चेतावनी देनेवाली भूमाता ब्रिगेड की महिलाओंको सभी हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनोंके कार्यकर्ता बडी संख्या में उपस्थित हो कर रोकेंगे, ऐसा हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र राज्य संघटक श्री. सुनील घनवट ने एक प्रसिद्धि पत्रक में ऐसा कहा है।
श्री क्षेत्र त्र्यंबकेश्वर में महाशिवरात्रि के दिन लाखों श्रद्धालु आते हैं !
ऐसे समय ब्रिगेडी आंदोलन के कारण वहां पर कानून एवं व्यवस्था के संदर्भ में गंभीर प्रश्न उत्पन्न हो कर वहां कोई अनुचित घटना होने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता !
यदि ऐसा हुआ, तो उसका संपूर्ण दायित्व प्रशासन का होगा !
इसलिए पुलिस एवं प्रशासन इसके लिए प्रतिबंधात्मक समाधान के रूप में इन ब्रिगेडी महिलाओंके लिए तत्काल नासिक जनपद में ‘प्रवेश प्रतिबंध’ घोषित करे, ऐसा आवाहन इस पत्रक में किया गया है !
इस प्रसिद्धि पत्रक में आगे कहा गया है, कि ….
१. हर देवस्थान की अलग अलग प्रथा-परंपराएं होती हैं। इसी के अनुसार १२ ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री क्षेत्र त्र्यंबकेश्वर मंदिर में हिन्दू महिलाएं एवं पुरुष के लिए प्रवेश है; किंतु गर्भगृह में केवल पवित्र पीतांबर एवं तत्सम अर्धवस्त्रधारी पुरुषोंको ही प्रवेश की अनुमति है। यह परंपरा सैकडों वर्ष पुरानी है !
२. यहां पर भारत की तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल, दिवंगत प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी, राजस्थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधराराजे सिंधिया जैसी उच्चपदस्थ महिलाओंने भी दर्शन करते समय यहां की प्रथा-परंपराओंका पालन किया है !
३. इस गांव में रहनेवाली १२०० स्थानीय महिलाओंद्वारा भी इस प्रथा को तोडा ना जाए; इसलिए स्थानीय प्रशासन को हस्ताक्षरोंका ज्ञापन प्रस्तुत किया गया है !
४. भूमाता ब्रिगेडी महिलाओंको अब कोई काम धाम नहीं रहा, उनका शनिशिंगनापुर का आंदोलन भी असफल रहा इसलिये अब उनकी वक्रदृष्टि श्री क्षेत्र त्र्यंबकेश्वर की सैंकड़ो वर्ष चलती आ रही परंपरा तोडने के लिये उतावली हो गई है !
५. राज्य में बलात्कार, यौन शोषण, छेडछाड सामान महिलाओंपर होनेवाली अनेक समस्याएं होनेपर भी उनसे निपटने के लिए सहायता करने के स्थान पर केवल लोकप्रियता की अपनी भूख मिटाने हेतु जनपद प्रशासन, पुलिस विभाग एवं स्थानीय जनता के लिए ये बड़ा कष्ट पहुंचा रहीं हैं, और इसी कारण भूमाता ब्रिगेड की अनेक महिला पदाधिकारियोंने श्रीमती तृप्ति देसाई का ‘लोकप्रियता का लोभ’ देखकर ‘भूमाता ब्रिगेड संगठन’ छोड दिया है !
६. बार-बार ऐसे आंदोलन कर जनता को पीडा दे कर करोडों रुपयोंकी हानि की जा रही है ! इसके पीछे शासन को अस्थिर करने में कहीं विपक्षी दलोंका तो हाथ नहीं है, इसकी जांच करें !
७. शासन को भूमाता ब्रिगेड के आंदोलन के कारण होनेवाली अर्थिक हानि की वसूली एवं उनपर कठोर कार्रवाई करें, यही हमारी मांग है ! जिस से भविष्य में इस प्रकार से आंदोलन का ‘स्टंट’ कर स्थानीय जनता एवं श्रद्धालुओंको कोई कष्ट न पहुंचे !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात