भारतमें बढ रहे आतंकवाद को देखते हुए सरकार ने भी भारत में स्थित मदरसों की जांच करनी चाहिए, एेसी जनता की अपेक्षा है – सम्पादक, हिन्दूजागृति
वॉशिंगटन – पाकिस्तान के शीर्ष राजनयिक ने कहा है कि, अफगान-पाक सीमा और कबायली क्षेत्र के इर्द-गिर्द स्थित मदरसे आतंकी गतिविधियों का केंद्र बन गए हैं, किंतु उन्होंने इसके लिए अफगान शरणार्थियों को जिम्मेदार ठहराया, जो ९/११ के बाद अमेरिका द्वारा तालिबान को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद देश में घुस आए।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने इस सप्ताह रक्षा लेखकों के एक समूह से कहा कि, इन मदरसों के पास कल्पना से परे आतंक का ठोस बुनियादी ढांचा है। ये बम बनाने के कारखाने चला रहे हैं। यह आतंकवादियों के प्रशिक्षण केंद्र हैं और इनमें आत्मघाती हमलावरों को प्रशिक्षण दिया जाता है। यह सब मस्जिद के अंदर बहुमंजिला तहखाने में होता है।
उन्होंने कहा कि मुझे याद है कि मिरानशाह में मैं एक मजिस्द में गया था, बाहर से हमें कुछ नहीं दिखा, किंतु अंदर ७० कमरों का तीन मंजिला तहखाना था जिसमें ४-५ आईईडी कारखाने, ४-५ आत्मघाती प्रशिक्षण केंद्र, संचार नेटवर्क, खास कमरे, सम्मेलन कक्ष, अद्भुत बुनियादी ढांचा था। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में कैसे आतंक के बुनियादी ढांचे की गहरी जड़ें विकसित हो गईं।
अजीज ने अनुमान जताया कि उत्तरी वजीरिस्तान में इस तरह के बुनियादी ढांचे वाली ३०-४० मस्जिदें हैं। उत्तरी वजीरिस्तान में जून २०१४ में पाकिस्तानी सेना ने ऑपरेशन जर्ब-ए-अज्ब शुरू किया था।
अजीज के अनुसार आदिवासी क्षेत्र में आतंकवाद विरोधी अभियान शुरू होने के बाद आतंकवादी समूह एवं इसके नेता शहरों एवं शहरी केंद्रों की ओर चले गए। पुलिस और खुफिया अभियान में पूरे देश से २५००० आतंकवादियों को पकडा गया।
स्त्रोत : वेब दुनिया