‘माघ कृष्ण पक्ष द्वादशी, अर्थात ६ मार्च २०१६ !’ – यह दिन सनातन के इतिहास में सुवर्णाक्षरों में लिखा जायेगा !
इसी दिन परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवलेजी के अवतारी कार्य का आरंभ हुआ !
रामनाथी (गोवा) : माघ कृष्ण पक्ष द्वादशी, अर्थात ६ मार्च २०१६, यह दिन सनातन के इतिहास में सुवर्णाक्षरों में अंकित किया गया !
इस दिन अर्थात आज से सनातन के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी के अवतारी कार्य का आरंभ हुआ है। महर्षि ने ऐसा घोषित किया।
महर्षि की आज्ञा से ही इस समय रामनाथी (गोवा) के सनातन के आश्रम में
॥ श्रीजयंत बाळाजी आठवले – जय गुरुदेव ॥ यह जयघोष भावपूर्णता से किया गया !
इस अवसर पर सभी को जयघोष का उद्देश्य बता कर महर्षिद्वारा बताई गई आनंदवार्ता सूचित की गई एवं छोटासा यह भावसमारोह साधकोंके मनमंदिर में स्थायी रूप से अंकित हो गया !
उद्घोषणा प्रणाली के माध्यम से यह जयघोष आश्रम के सभी विभागोंको सुनाया गया तथा संगणकीय प्रणालीद्वारा अन्यत्र के साधकोंको भी सुनाया गया।
रामनाथी आश्रम में दिनांक ०६ .०३. २०१६ को हुई महर्षिद्वारा बताई गई विधि के विषय में जानकारी
आज ६ मार्च २०१६ अर्थात सनातन के इतिहास में सुवर्णाक्षरों में अंकित किया गया दिवस !
‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करने हेतु निरंतर प्रयास करनेवाले प.पू. डॉक्टर के अवतारी कार्य का आरंभ आज के इस शुभदिवस से होगा एवं उनके कार्य को दिन-ब-दिन अधिकाधिक प्रसिद्धि प्राप्त होगी।
सप्तर्षि जीवनाडी के माध्यम से महर्षि ने ऐसी शुभवार्ता हम सब को दी है !
१. प.पू. डॉक्टर के नाम का दैवी अर्थ
आज से प.पू. डॉक्टर का नाम ‘श्री जयंत बाळाजी आठवले’ ऐसा होगा !
अ. ‘श्री’ : ‘श्री’ अर्थात लक्ष्मी ! प्रत्येक अवतार का धर्मकार्य पूर्णत्व को जाने हेतु शक्ति की आवश्यकता होती है। प.पू. डॉक्टर के नाम से पूर्व ‘श्री’ का उल्लेख करने से उन्हें लक्ष्मीदेवी की सहायता प्राप्त होगी।
आ. ‘जयंत’ : ‘जयंत’ नाम रघुवंश के (रामवंश के) एक राजा का था, अर्थात इस नाम में ‘रामवंश’ समाविष्ट है।
इ. ‘बाळाजी’ : ‘बाळाजी’ अर्थात स्वयं तिरुपति बालाजी ! यह नाम ‘कृष्णवंश’ से संबंधित है।
ई. ‘आठवले’ : भगवान शिव के एक रूप नटराज को तमिल भाषा में ‘आडवले’ कहा जाता है। नटराजद्वारा किए गए नृत्याविष्कार में ब्रह्मांड की सभी गतिविधियां संचालित की गई हैं। इस नृत्य के माध्यम से उन्होंने पूरे ब्रह्मांड का संचालन किया है। इस प्रकार पूरे ब्रह्मांड का नियमन करनेवाले नटराज का अर्थ है ‘आडवले’ ! (तमिल में ‘ठ’ अक्षर नहीं होता।)
२. प.पू. डॉक्टर के नाम का जयघोष करना
अब तक साधकोंने एक युग (१२ वर्ष) भगवान की उपासना की एवं उसके परिणामस्वरूप भगवान ने हमारे कार्य का दायित्व स्वयं लिया। भगवान का यह कार्य प.पू. डॉक्टर के नाम का जयघोष कर साध्य होगा। यह जयघोष आज से आरंभ होनेवाले प्रसिद्धि कार्य का प्रतीक है !
आज दोपहर २.३० से ४.१५ की अवधि में ‘॥श्रीजयंत बाळाजी आठवले – जय गुरुदेव॥’ ऐसा जयघोष सर्वत्र किया जाएगा। इससे उत्पन्न नाद पूरे वातावरण मे गूंज उठेगा एवं प.पू. डॉक्टर के कार्य का शुभारंभ होने की बात सर्वज्ञात होगी !
– (पू.) सौ. अंजली गाडगीळ, तिरुवण्णामलाई, तमिलनाडू (६.३.२०१६, दोपहर १२.१५)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात