श्री त्र्यंबकेश्वर मंदिर के गर्भगृह में महिलाओंको प्रवेश का प्रकरण
श्री क्षेत्र त्र्यंबकेश्वर (नासिक) : नास्तिक भूमाता ब्रिगेड की महिलाओंद्वारा भक्ति का ‘निर्मूलन’ करने का प्रयास चलाया जा रहा है। पुरो(अधो)गामियोंका आंदोलन एवं उनकेद्वारा दिए जानेवाले किसी भी ‘प्रलोभन’ पर; ओ, हिन्दू भाविकों बलि न चढें !
भूमाता ब्रिगेडवालों, सनातन धर्म की आस्था को आहत करने का प्रयास न करें। यह शासन, पुलिस एवं प्रशासन सभी पर दवाब डालने का प्रयत्न है !
श्री त्र्यंबकेश्वर की धर्मपरंपराओंकी रक्षा के लिए हम सक्रिय रूप से सम्मिलित होंगे, ऐसा क्षत्रवृत्ति पर वक्तव्य जब हिन्दुत्वनिष्ठोंने, ‘हिन्दू धार्मिक परंपरा रक्षा अभियान’ की जानकारी देने हेतु षड्दर्शन आखाडा परिषद के अध्यक्ष स्वामी सागरानंद सरस्वतीजी से उनके आश्रम में भेंट की तब उन्होंने दिया।
इस अवसर पर नगराध्यक्ष श्रीमती विजया लढ्ढा, गुटनेता श्री. योगेश तुंगार, प्रतिष्ठित निर्माण व्यवसायी श्री. दीपक लढ्ढा, सनातन संस्था की श्रीमती सुनीता पाटिल, श्रीमती नयना भगत, हिन्दू जनजागृति समिति की कु. प्रतिक्षा कोरगावकर आदि उपस्थित थीं।
‘भूमाता ब्रिगेड’ के पीछे कोई बाहरी शक्ति
स्वामी सागरानंद सरस्वतीजी ने ‘भूमाता ब्रिगेड’ के संदर्भ में कहा कि, ब्रिगेड की महिलाओंका जन्म निश्चितरूप से भारत में ही हुआ है अथवा विदेश में ? क्या उन्हें भारतीय संस्कृति का अध्ययन नहीं है ? उनके पीछे कोई बाहरी शक्ति है, जो ‘हिन्दू संस्कृति’ को भेदने का प्रयास कर रही है, त्र्यंबकेश्वर स्थित साधु समाज, श्रद्धालु जनता एवं ग्रामवासी को ऐसा ही लगता है !
भारतीय संस्कृति में महिलाओंको ‘देवी’ का रूप माना गया है। वैदिक ग्रंथोंके अनुसार हर युद्ध में राक्षस, दैत्य एवं नास्तिक का संहार करने के लिए आदिशक्ति ने अवतार लिया है। ब्रिगेड की महिलाओंको इसका ‘स्मरण’ दिलाना होगा।
ऐसी महिलाओंसे समाज के सभी लोगोंने ‘सावधान’ रहना चाहिए !
सोमनाथ मंदिर में केवल एक ही पुजारी को पूजा करने का अधिकार
भारत में स्थित १२ ज्योतिर्लिंगों में से कहीं पर भी देवता की पूजा-अर्चना करने का ‘हठ’ अभी तक किसी भी महिला ने नहीं किया है !
सोमनाथ मंदिर में तो केवल एक ही पुजारी को, पूजा करने का अधिकार है। इस मंदिर के गर्भगृह में शंकराचार्य जी अथवा मंदिर के न्यासी को भी प्रवेश नहीं दिया जाता, स्वामीजी ने ऐसा भी बताया !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात