उत्तरप्रदेश : धार्मिक स्थलों के आसपास नहीं हो सकेगी मांस की बिक्री

भाद्रपद शुक्ल पक्ष द्वादशी, कलियुग वर्ष ५११६

मैनपुरी (उत्तरप्रदेश) : धार्मिक स्थलों के आसपास अब मांस की बिक्री नहीं हो सकेगी। एक माह में नगर आयुक्त ने ऐसी मांस की दुकानों को चिंहित कर हटाने के निर्देश दिए हैं, जो धार्मिक स्थलों के नजदीक हैं या फिर भीड़ भरे इलाके में खुलेआम मांस की बिक्री कर रहे हैं।

उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण आदेश में नगर आयुक्त को निर्देश दिए हैं कि वह धार्मिक स्थलों के ५० मीटर के आसपास या घनी बस्ती या सड़कों के किनारे मांस की बिक्री होती है, उन दुकानों को चिंहित कर तत्काल हटवाया जाए। न्यायालय के इस निर्देश के बाद जनपद में पांच दर्जन से अधिक सड़कों के किनारे या घनी बस्ती में मांस की बिक्री करने वाली दुकानों पर बंदी की तलवार लटक गई है। नगर के आगरा रोड, नगरिया देहात, स्टेशन रोड, गोला बाजार, कचहरी रोड पर कई जगह तीन दर्जन से अधिक दुकानों पर खुलेआम बकरा, मुर्गा और मछली काट कर बेचे जाते हैं। जिसकी शिकायत कई बार लोगों ने जिला प्रशासन से भी की थी, लेकिन उस समय कोई कार्रवाई नहीं हो सकी थी। यही हाल भोगांव, बेवर, कुरावली और करहल कस्बा का है। इन कस्बों में दो दर्जन से अधिक दुकानों पर मांस काटकर बेचा जाता है।

कुरावली में पुरानी गल्ला मंडी के आसपास घनी बस्ती होने के बाद भी मांस की बिक्री खुले में होती है। इसके अलावा भोगांव में भी कई एक ऐसी मांस की दुकानें हैं, जो घनी बस्ती में हैं। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद मनमाने तरीके से हो रही मांस की बिक्री पर अंकुश लग सकेगा।

उपजिलाधिकारी सत्य नारायन यादव का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद सड़कों के किनारे खुलेआम मांस बेचने वालों को चिंहित कर उनकी दुकानें बंद कराई जाएंगी। जिन्हें मांस की बिक्री करनी है, वह मांस मंडी में अपनी दुकानें लगाए। बकरा, मुर्गा और मछली के मांस की बिक्री करने से पहले जांच कराना आवश्यक होगा। बीमार मुर्गा, मुर्गी और बकरे का मांस नहीं बेचने दिया जाएगा।

स्त्रोत:  जागरण

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